Sunday, December 22, 2024
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2022 निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण गलत कैसे हो गया?

Backward Reservation:विगत 2006 से अति पिछड़ों का आरक्षण पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में मिलता रहा

  • मांगों को लेकर अधिकार बचाओ न्याय बचाओ मोर्चा ने दिया धरना
  • नगर निकाय चुनाव के दौरान अति पिछड़ा आरक्षण को गलत ठहराए जाने की घोर निंदा

खबरे आपकी/आरा: जिला समाहरणालय के समक्ष शुक्रवार को अधिकार बचाओ-न्याय बचाओ मोर्चा के बैनर तले अति पिछड़ा आरक्षण सुरक्षित रखने तथा रोहिणी आयोग का रिपोर्ट पूरे देश में लागू करने की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता राजेंद्र गुप्ता ने की।

धरना में आरा नगर के अति पिछड़ा समाज से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। बिहार में नगर निकाय चुनाव के दौरान अति पिछड़ा आरक्षण को गलत ठहराए जाने की घोर निंदा की गई। मंच के सस्थापक सह सामाजिक कार्यकर्ता राज किशोर शर्मा ने कहा कि सभी पार्टियां गरीबों के नाम पर एक रवैया अपना चुकी है। विगत 2006 से अति पिछड़ों का आरक्षण पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में लाभ मिलता रहा और जायज था। 2022 निकाय चुनाव में वही आरक्षण गलत कैसे हो गया? यह स्वर्ण जातियों द्वारा आरक्षण हटाने का एक बड़ा षड्यंत्र है, जिसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।

Backward Reservation:रोहिणी आयोग का रिपोर्ट लागू करने की मांग

 Backward Reservation

अति पिछडो को सत्ता भागीदारी को भारत सरकार द्वारा 2017 में रोहिणी आयोग बनाया अति पिछडो को लाभ नहीं मिले। इस लिए उसका कार्यकाल तेरह बार बढ़ाने का घोर निंदा करते है और प्रधानमंत्री से आग्रह करते है कि रोहिणी आयोग का रिपोर्ट जल्द लागु कर सत्ता से वंचित अति पिछडो लाभ प्रदान करें।

मोर्चा के सचिव राजेश कुमार ने कहा अति पिछड़ा समाज को संगठित कर जन आंदोलन तैयार किया जायेगा ताकि सत्ता से बाहर रखने के सरकारी नीति पर बिराम लगे साथ ही बिहार सरकार से मांग की गई की तमिलनाडु की तर्ज पर बिहार में भी आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाया जाए जिससे आरक्षित वर्ग को समुचित लाभ मिल सके।

मोर्चा के अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता नई बिहार के तमाम अति पिछड़ा जातिओ को गोलबन्द कर संघर्ष का आह्वान किया। संचालन अखिलेश शर्मा ने किया धनबाद ज्ञापन अबिनाश शर्मा किया अन्य में सुशील शर्मा, शिव शंकर ठाकुर, राजेश चौरसिया, राजा मुनि देवी, शिव कुमारी देवी, साजन शर्मा, दुर्गा प्रसाद, चंद्रशेखर शर्मा, त्रिभुवन शर्मा, रामेश्वर पाल, कमला प्रसाद, प्रेमचंद प्रसाद, सुमेश्वर प्रसाद, नन्द जी गोंड़, प्रभु लाल प्रसाद, तुलसी प्रसाद आदि थे।

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