Bihar Legislative Council Results: बिहार विधान परिषद की पांच सीटों के चुनाव में महागठबंधन को दो सीट पर जीत मिली, दो सीट पर बीजेपी को और एक सीट पर प्रशांत किशोर और जन सुराज समर्थित निर्दलीय अफाक अहमद जीत गए। गया स्नातक सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के दूसरे बेटे पुनीत सिंह चुनावी मैदान में थे, लेकिन बीजेपी के दिग्गज नेता और विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह के हाथों कड़े मुकाबले में पुनीत सिंह की हार हो गई। मतगणना में काफी देर तक पुनीत सिंह आगे रहे लेकिन जब अवधेश नारायण सिंह एक बार आगे हुए तो फिर जीतकर ही रुके।
राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के एक बेटे सुधाकर सिंह पहले से विधायक हैं और नीतीश सरकार में कुछ समय के लिए कृषि मंत्री भी रहे। लगातार नीतीश कुमार और बिहार सरकार के खिलाफ बोलने की वजह से सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद जगदानंद सिंह नाराज हो गए थे जो कुछ समय बाद मान गए।
विधान परिषद की एक ही सीट आरजेडी को लड़ने के लिए मिली जहां जगदानंद सिंह के दूसरे बेटे पुनीत सिंह को उतारा गया। लेकिन बीजेपी के अवधेश नारायण सिंह के सामने पुनीत सिंह की चुनावी लॉन्चिंग फेल हो गई। अवधेश नारायण सिंह को 24290 वोट मिला जबकि पुनीत सिंह को 22624 वोट। इस सीट पर भी प्रशांत किशोर की टीम से अभिनय कुमार लड़ रहे थे लेकिन वो 1046 वोट के साथ पांचवें नंबर पर रहे।
महागठबंधन में कोसी शिक्षक, सारण स्नातक और गया शिक्षक जेडीयू लड़ी थी जबकि गया स्नातक आरजेडी और सारण शिक्षक सीपीआई। इसमें कोसी शिक्षक सीट पर जेडीयू के संजीव सिंह जीते तो सारण की स्नातक सीट पर जेडीयू के वीरेंद्र यादव जीते।
सारण में एक जमाने में दिग्गज नेता रहे महाचंद्र प्रसाद सिंह की हार हो गई। महाचंद्र सिंह इस सीट से 6 बार एमएलसी रह चुके हैं लेकिन जब से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए हैं तब से जीत नहीं पाए हैं। बीजेपी ने गया की दोनों सीट जीत ली है। स्नातक से अवधेश नारायण सिंह तो शिक्षक सीट से जीवन कुमार जीते हैं। जीवन ने जेडीयू के संजीव श्याम सिंह को हराया।
Bihar Legislative Council Results: सारण शिक्षक सीट पर प्रशांत किशोर समर्थित और जन सुराज से जुड़े निर्दलीय अफाक अहमद ने जीत हासिल की है। इस सीट पर सीपीआई के आनंद पुष्कर की हार महागठबंधन और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ को बड़ा झटका है। आनंद पुष्कर के पिता केदारनाथ पांडेय बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष थे और इस सीट से कई बार विधान पार्षद का चुनाव जीत चुके थे। केदारनाथ पांडेय के निधन के कारण ही इस सीट पर चुनाव हुआ। इस सीट पर कुछ और शिक्षक नेता लड़ गए जिन्होंने भारी वोट पाया और आनंद की हार के कारण बने।