Kudva Shiva Temple of Shahpur आरा/शाहपुर: कुंडेश्वर नाथ मंदिर (कुड़वा शिव) भोजपुर जिला मुख्यालय आरा से करीब 25 किलोमीटर पश्चिम आरा-बक्सर फोरलेन से बिल्कुल सटे बिलौटी एवं शाहपुर के बीचोबीच अवस्थित ये मंदिर धार्मिक आस्था व पुरातात्विक व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मंदिर है। बिना ईट के बने इस शिव मंदिर की बनावट व शिल्पकारी इसे पुरातन मंदिरों की श्रेणी में खड़ा करता है।
इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर खुलता है। बिना ईट के प्रयोग किये वृहद शिलाखंडों से निर्मित इस मंदिर के दीवारों पर उकेरी गयी कलाकृतियां तत्कालीन शिल्पकारों के कला कौशल को दर्शाता है। ठीक इसी प्रकार की बनावट वाली पार्वती एवं एक अन्य मंदिर है जो पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण एवं वर्तमान में धरोहर है।
वर्तमान में मंदिर झाड़ीनुमा ऊंचे टीले पर अवस्थित है। जिसका क्षेत्रफल लगभग पांच एकड़ से ज्यादा में फैला है। टीले के बीचोबीच उत्तर तरफ प्रधान प्राचीन शिव मंदिर निर्मित है। सतह पर मंदिर की स्थिति लगभग 30 फीट लंबी ,10 फीट चौड़ी तथा 30 फीट ऊंचे गुंबज वाले इस मंदिर का द्वार पश्चिम की ओर खुलता है। गर्भ गृह में स्थापित शिवलिंग गोलाकार लंबा न होकर चपटा है।
Kudva Shiva Temple of Shahpur: किदवंतियों के अनुसार मंदिर से जुड़ी लोक गाथा
किदवंतियों के अनुसार तब यहां से पवित्र गंगा नदी की मुख्यधारा यही से गुजरती थी।राजा वाणासुर इसी स्थान पर आकर गंगा नदी के किनारे तपस्या करता था। कुछ वर्षो की तपस्या के उपरांत उसने यहां महायज्ञ करने की ठानी। यज्ञ के लिए हवन कुंड की खुदाई होने लगी। इसी खुदाई के दौरान श्रमिकों का फावड़ा किसी पत्थर से टकराई तथा उससे रक्त बहने लगा। इसकी सूचना वाणासुर को दी गयी। रक्त रंजित पत्थर को निकालकर बाहर रखा गया जो शिवलिंग की आकृति का था। कहा जाता है कि रात्रि पहर भगवान शिव ने उसके स्वप्न में आकर आदेश दिये कि वह इस रक्त रंजित शिवलिंग की स्थापना करे। वाणासुर द्वारा भगवान के आदेश पर इसे स्थापित किया गया। चूंकि यह लिंग हवन कुंड की खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ था इसलिए इसका नाम कुंडेश्वर शिव रखा गया।