Sunday, April 28, 2024
No menu items!
Homeराजनीतअगर मेरी बात पर यक़ीन नहीं हो तो सुशील मोदी से पूछ...

अगर मेरी बात पर यक़ीन नहीं हो तो सुशील मोदी से पूछ लीजिए- शिवानंद

Shivanand Tiwari – BJP Protest: पूर्व राज्य सभा संसद शिवानंद तिवारी ने कहा की सरकार के ख़िलाफ़ निकलने वाले हर जुलूस और प्रदर्शन का लक्ष्य होता है कि किसी प्रकार जुलूस पर लाठीचार्ज हो जाए. लाठीचार्ज का होना ही कार्यक्रम की सफलता मानी जाती है. कई जुलूसों में भाग लिया है. चार नवंबर 74 को जेपी के जुलूस पर लाठी चलते ख़ुद देखा है. उस कार्यक्रम में जेपी पर लाठी उठी थी. जयप्रकाश नारायण पर उठी लाठी की तस्वीर मशहूर फ़ोटोग्राफ़र रघु राय ने लिया था. दुनिया भर में वह तस्वीर छपी थी.
रेडियो स्टेशन के गेट पर धरना पर लाठी चार्ज भी देखा है. उस लाठी चार्ज में शरद यादव का सर फट था. लालू,नीतीश के साथ मैं भी उस कार्यक्रम में शामिल था. 83 में जगन्नाथ मिश्र जी की सरकार थी. वह सरकार प्रेस की आज़ादी को समाप्त करने का क़ानून बनाने के लिए विधानसभा में एक बिल ला रही थी. उस बिल के विरोध में कई संगठनों ने संयुक्त विरोध का कार्यक्रम बनाया था. जैसा कि होता है क़तार में शामिल अगली क़तार के लोग पुलिस से भिड़ते हैं. पुलिस के घेरे को तोड़ने के लिए ज़ोर लगाते हैं. उसमें से कहीं से ढेला पत्थर चलने लगता है. उसके बाद पुलिस लाठी चार्ज करती है. पुलिस दौड़ा दौड़ा कर पीटना शुरू करती है. उत्पाती तो सबसे पहले पलायन कर जाते हैं. पिटाने वाले अधिकांश निर्दोष होते हैं.

मुझे याद है. लाठीचार्ज के बाद भगदड़ होने लगी तो नीतीश, कंचन और मैं डॉक्टर ईसा के गेट के पास खड़े हो गए. उस समय पटना के सीनियर एसपी रामचंद्र खान हुआ करते थे. बहुत कड़क अफ़सर माने जाते थे. उसी समय हम लोगों की नज़र कबूतर खाना के सामने माइक लगे एक टेंपो पर पड़ी. पुलिस टेंपो में सवार लोगों को लाठी के हुरा से मार रही थी. रामचंद्र खान जी वहीं खड़े थे. उसके बाद नीतीश और हम लोग टेंपो की ओर बढ़े. वहाँ जो कुछ हो रहा था उसका सीनियर एसपी से मज़बूती से विरोध किया. हमलोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया. टेंपो पर विजय कृष्ण था. उसको चोट लगी थी. उसको थाना से अस्पताल भेज दिया गया. हमलोग गर्दनीबाग थाना में बैठाये गये.

BREAKING NEWS
BREAKING NEWS
BREAKING NEWS
BREAKING NEWS

इस प्रकरण को विस्तार से सुनाने की वजह यह है कि आमतौर पर राजनीतिक कार्यक्रमों में पुलिस लोगों को पकड़ती है . शाम तक बैठाने के बाद छोड़ देती है. इससे आगे की बात हुई तो अधिकांश मामले में गिरफ़्तार लोगों को ज़मानत पर छोड़ दिया जाता है. अगर जेल गए तो अगले दिन से ज़मानत की कोशिश शुरू हो जाती है. लेकिन जेल में नीतीश और हम लोगों ने सामूहिक रूप से तय किया कि हम लोग ज़मानत नहीं करायेंगे. जहाँ तक याद है डेढ़ महीना हमलोग जेल में रहे. उस साल का दशहरा हमारा जेल में गुजरा था. लेकिन आरा के एक साथी ने कुछ ऐसा कर दिया कि जिसकी वजह से माहौल विषाक्त हो गया. तब तय हुआ कि ज़मानत कराई जाए.

Shivanand Tiwari – BJP Protest: कल भाजपा के जुलूस के साथ भी वही हुआ जो अब तक होता आया है. सरकार के खिलाफ होने वाले सभी प्रतिरोध का केंद्र डांकबंगला चौराहा रहा है. जैसे जुलूस वहाँ पहुँचता है वहाँ का माहौल बदल जाता है. वीडियो वाले पत्रकार तो माहौल को और उत्तेजक बना देते हैं लाठीचार्ज होता है. लाठी चलती है. चोट लगती है. सर भी फूटता है. पुलिस वाले भी तो इंसान हैं. राजनीतिक कार्यक्रमों को किस तरह सँभालना चाहिए इसकी कोई विशेष ट्रेनिंग तो उनको मिलती नहीं.
ऐसा सभी जुलूसों में होता है. पुलिस से धक्का-मुक्की के बाद कहीं से ढेला पत्थर चलने लगता है. लेकिन भाजपा ने
कल एक बहुत चिंता जनक शुरुआत की है. मिर्च का पाउडर पुलिस वालों की आँखों में झोंका गया. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. यह गंदी शुरुआत कल को तेज़ाब फेंकने तक पहुँच सकती है !

इसलिए भाजपा के लोग कल की घटना का जितना विरोध करना है करें. लेकिन दो चार दिन बीतने के बाद मामला जब ठंडा हो जाए. उनको अंदरूनी तहक़ीक़ात कर मिर्च पाउडर फेंकने वाली ज़मात का पता लगाना चाहिए. उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए. सार्वजनिक रूप से कार्रवाई करने में संकोच हो तो अंदरूनी ही हो. हालाँकि अगर इस घटना की सार्वजनिक जाँच कराने का साहस भाजपा दिखाती है तो उसको इसका लाभ मिलता. लेकिन भाजपा से मेरी ऐसी अपेक्षा पर लोग शायद हँसेंगे. भाजपा तो ऐसी पार्टी है जिसके नेता सर में झूठी पट्टी लगा कर विधानसभा में दावा करते हैं कि मेरा सर तोड़ दिया गया है. और जब पोल खुलने का डर होता है तो पलायन कर जाते हैं. अगर मेरी बात पर यक़ीन नहीं हो तो सुशील मोदी से पूछ लीजिए

RAVI KUMAR
RAVI KUMAR
Journalist
- Advertisment -
Vikas singh
Vikas singh
sambhavna
aman singh

Most Popular

Don`t copy text!