Thursday, December 26, 2024
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गंगा नदी में जवइनिया गांव के घरों का विलीन होने का सिलसिला जारी

शाहपुर प्रखंड अंतर्गत जवइनिया गांव के उन परिवारों का दर्द अत्यंत गहरा है, जो अपने घर, खेत और संसाधनों को गंगा के कटाव के कारण खो चुके हैं।

Jawainiya village: शाहपुर प्रखंड अंतर्गत जवइनिया गांव के उन परिवारों का दर्द अत्यंत गहरा है, जो अपने घर, खेत और संसाधनों को गंगा के कटाव के कारण खो चुके हैं।

  • हाइलाइट : Jawainiya village
    • दहशत में जी रहे हैं जवइनिया गांव के लोग, घर खोने का छलक रहा दर्द

Jawainiya village आरा/शाहपुर: भोजपुर जिले में गंगा नदी के कटाव ने शाहपुर प्रखंड अंतर्गत जवइनिया गांव के लोगों को गंभीर संकट में डाल दिया है। विशेष रूप से, उन परिवारों का दर्द अत्यंत गहरा है, जो अपने घर, खेत और संसाधनों को गंगा के कटाव के कारण खो चुके हैं। जिन लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी इस मोक्षदायिनी के प्रवाह के किनारे बिताई है, वे अब बेघर और असहाय महसूस कर रहे हैं। पुराणों के अनुसार स्वर्ग में गंगा को मन्दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं, वही पृथ्वी पर अनेक नामों के साथ प्रवाहित मोक्षदायिनी का रौद्र रूप देखकर जवइनिया गांव के लोगों के दिलों में बसी गांव की तस्वीर उनके गहरे दर्द को प्रकट करती है।

दिल का दर्द आंसुओ में कैसे तब्दील होकर आंखों से छलकता है। ये जवइनिया गांव के लोगो मे देखा जा सकता है। जिनके अपने खून पसीने व गाढ़ी कमाई से बने आशियाने आंखों के सामने ही गंगानदी के कटाव में विलीन हो जाय। शुक्रवार के दिन करीब आधा दर्जन भर व एक बगीचे का हिस्सा गंगा में विलीन हो गए।

Pintu bhaiya
Pintu bhaiya

लोगो कहते हैं जर्रा सोच कर देखे की महज सोचने मात्र से ही बदन में सिहरन हो जाता है। गंगा में कटाव के कारण दहशत में जी रहे हैं। पिछले दो दिनों से गंगा नदी में भारी कटाव के कारण जवइनिया गांव के कई घर गंगा में विलीन हो गए। जिसके कारण लोग घरों को छोड़कर बाहर शरण लिए हुए हैं।

इसके साथ ही जिनके घर बाहर हैं उन्होंने अपने परिवार को शिफ्ट कर दिया। हालांकि अभी भी गांव के घर के निगरानी के लिए कोई ना कोई सदस्य गांव में रह रहा है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिर कब तक बचा रहेगा यह घर! गंगा के कटाव कारण घरों का लगातार गंगा नदी में विलीन होने का सिलसिला जारी है और घर से बेघर होने का भी सिलसिला लगातार जारी है। दूसरी तरफ गंगा नदी में कटाव के कारण लोगों में एक भय का माहौल घर कर चुका है कि कहीं पूरा गांव ही कट कर गंगा में विलीन ना हो जाए।

इस सोच से गांव के लोग दहशत के माहौल में अपना जीवन बसर कर रहे हैं। आंखों के सामने घरों का गंगा नदी में बिल्ली होते देख लोगों के दिलों का दर्द आंखों के रास्ते छलक कर आंसुओं में बहते हुए देखा जा सकता है। जिस घरों में पले बढ़े वही घर आंखों के सामने गंगा नदी में विलीन हो जाए और उसकी स्मृतियां ही अब लोगों के बीच शेष रह गई हैं।

गांव के लोग बताते हैं कि अब कुछ नही बचा है। जमीन गंगा ने पहले ही लील गई थी। अब घर भी नही बचा। हम तो बेघर हो गए है। यही हाल गांव गुप्तेश्वर पाठक, राजेंद्र पाठक, नन्हक यादव व व व बचलाल यादव, सतेन्द्र पांडे सहित करीब दर्जन भर परिवारों का है। जिनके जमीन व घर दोनों ही गंगा मे समा गए। अब ऐसे परिवार गांव के नजदीकी रिश्तेदार के घर शरण लेने को मजबूर हो चुके हैं। नेताओ व अधिकारियों के आने जाने का सिलसिला जारी है। सांत्वना मिलती है। नियम, कायदा, कानून व प्रावधान का भरोषा दिलाया जा रहा है।

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