culture of Bihar – महापर्व छठ के अवसर पर लाइव परिचर्चा कार्यक्रम में दी प्रस्तुति
culture of Bihar आरा। नई दिल्ली की ओर से बिहार का महापर्व छठ के अवसर पर आयोजित न्यूज लाइव परिचर्चा कार्यक्रम में कथक गुरु बक्शी विकास ने बिहार की लोक संस्कृति को किया प्रदर्शित। गौरतलब है कथक नृत्यांगना सह ज्ञानेश्वरी इंस्टीच्यूट ग्रेटर नोएडा की संचालिका दुर्गेश्वरी सिंह “महक” ने कथक गुरु बक्शी विकास से बिहार की लोक संस्कृति पर बतौर संचालिका खास बातचीत की।
culture of Bihar इस परिचर्चा में गुरु बक्शी विकास ने कहा कि बिहार की संस्कृति में विश्व के लिए प्रेरणा हैं। पूरी दुनिया उगते सूर्य को नमस्कार करती हैं जबकि बिहार की संस्कृति में डूबते सूर्य के पूजन की भी प्राचीन परंपरा है। छठ महापर्व आत्म शुद्धि के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आज पूरे देश में स्वच्छता का अभियान चलाया जा रहा हैं। छठ पर्व की संस्कृति में स्वच्छता व शुद्धता का उदाहरण आत्मसात करने के लिए वर्षों से कायम हैं। छठ पर्व की मधुर गीतों की प्रसिद्धि पूरे विश्व में हैं।
चुनाव के दरमियान आजकल ‘बिहार में का बा’ जुमला खूब सुर्खियों में रहा किन्तु बिहार के प्रति अपनी राय को बदलने के लिए यहां की संस्कृति को जानने की आवश्यकता। बिहार की लोक संस्कृति व छठ महापर्व अद्वितीय है। इस अवसर गुरु बक्शी विकास ने प्रसिद्ध छठ गीत कांच ही बांस के बहंगिया…… प्रस्तुत किया। वही इस परिचर्चा में कथक नृत्यांगना आदित्या श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नृत्य संरचना ” बहंगी लचकत जाए” ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस नृत्य संरचना में प्रज्ञा द्विवेदी, सृष्टि प्रिया, रश्मि श्रीवास्तव, पुष्पांजलि राज व तनु कुमारी ने कथक नृत्य के माध्यम से घाट बनाने से लेकर सूर्य को अर्घ्य देने तक के दृश्य को जीवंत कर दिया।
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