Wednesday, January 15, 2025
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शहीदों की याद में भोजपुर के लसाढ़ी गांव में राजकीय समारोह आज

Martyrs of Lasadhi village: भोजपुर जिले के अगिआंव प्रखंड अंतर्गत लसाढ़ी गांव में आयोजित राजकीय समारोह में आजादी की लड़ाई में शहीद हुए 12 स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जायेगी। शहीद दिवस पर यहां हर साल 15 सितंबर को राजकीय समारोह में राज्य सरकार के मंत्री से लेकर जिले के आला अधिकारी तक जुटते हैं।

अगिआंव बीडीओ व सीओ चंद्रशेखर के अनुसार समारोह को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आलाधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों व अन्य लोगों को आमंत्रण पत्र भेजा जा चुका है। साढ़े नौ बजे से कार्यक्रम का समय निर्धारण किया गया है।

jay kumar
पूर्व चेयरमैन , शाहपुर नगर पंचायत
babita devi
jay kumar
पूर्व चेयरमैन , शाहपुर नगर पंचायत
babita devi

बता दें कि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित होकर लसाढ़ी, चासी, ढकनी व डुमरिया सहित कई गांवों के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी शासन का खिलाफत करने की योजना बनाई और अंग्रेजों के जलमार्ग के रूप में उपयोग किए जाने वाले अगिआंव स्थित बड़ी नहर को कई जगह काट कर नहर में पेड़ गिराकर अवरुद्ध कर दिया था। साथ ही सितंबर 10 / 1942 की अहले सुबह अगिआंव स्थित डाकबंगला पर धावा बोल दिया था।

Pintu bhaiya
Ahmed Diabetes Care Centre
उप चेयरमैन , शाहपुर नगर पंचायत
Kamlesh Kumar Raj
Pintu bhaiya
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उप चेयरमैन , शाहपुर नगर पंचायत
Kamlesh Kumar Raj
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अचानक हुए इस हमले से बौखलाए चंद अंग्रेजी सिपाही भाग खड़े हुए थे। इसके बाद स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी खजाने को लूट कर डाकबंगला को आग के हवाले कर जरूरी अंग्रेजी कागजातों को नष्ट कर दिया व डाकबंगला पर तिरंगा फहरा दिया था।

इस घटना से बौखलायी अंग्रेजी हुकूमत ने सितंबर 14 / 1942 की अधी रात को लसाढ़ी गांव को घेर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। बताया जाता है कि लगभग 26 लारियों (गाड़ियों) में भर कर आए 70 गोरे व 200 सौ बलूच शस्त्र अंग्रेजी सिपाहियों ने सितंबर 15 /1942 की अहले सुबह चार बजे अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग की आवाज सुनकर स्वतंत्रता सेनानियों ने नगाड़े बजाकर आसपास के गांवों से अन्य साथियों को बुलाया और दूसरे गांव में जमावड़ा लगाये।

स्वतंत्रता सेनानियों ने नगाड़े की आवाज सुन दूसरे साथी को सूचित कर लसाढ़ी गांव की ओर बढ़कर पारम्परिक हथियारों के साथ मोर्चा संभाल लिया। तब तक पौ फट चुका था और हर तरफ खून के धब्बे पसरे थे। कई अंग्रेज सिपाही घायल हो चुके थे।

बताया जाता है कि तीन घंटे चले इस खूनी संघर्ष में लसाढ़ी गांव में लड़ते हुए लसाढ़ी, चासी व ढकनी गांव के 12 स्वतंत्रता सेनानी शाहिद हो गए थे। तब से उन शहीदों की याद में हर साल 15 सितंबर को लसाढ़ी गांव के पास बने शहीद स्मारक पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया जाता है।

Martyrs of Lasadhi village: खूनी संघर्ष में शहीद 12 स्वतंत्रता सेनानी

अगिआंव प्रखंड के लसाढ़ी गांव के पास जिन शहीदों का स्मारक बना है, उनमें लसाढ़ी गांव की महिला अकली देवी समेत वासुदेव सिंह, सभापति सिंह, महादेव यादव, गिरिवर सिंह यादव, जगरनाथ सिंह, चासी गांव के रामानुज पांडे, राजदेव साह, केसवर सिंह, शीतल लोहार और ढकनी गांव के शीतल प्रसाद सिंह व केशव प्रसाद सिंह हैं।

पूर्व विधायक विजेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के साथ शहीद अकली देवी देशभक्ति की भवनाओं से ओत-प्रोत थी। स्वतंत्रता आंदोलन में वे महिलाओं के लिए प्रेरणा देने वाली थी। अंग्रेज फौज के साथ छापामार लड़ाई में 12 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ उनकी शहादत हुई।

शहीद अकली देवी स्मृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष यादव रामसकल सिंह भोजपुरिया ने कहा की 1942 में अकली देवी अपने 12 साथियों के साथ लसाढ़ी में अंगेजों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं। उनके, समर्पण और अपूर्व बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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