Protested Against Bihar Government : आरा नगर निगम में शनिवार के दिन बिहार नगर पालिका विधेयक संशोधन 2024 को लेकर बैठक रखी गई थी। बैठक में विधेयक का विरोध करते हुए संशोधन में बदलाव आग्रह किया गया
- हाइलाइट : Protested Against Bihar Government
- आरा में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गजट की कॉपी जलाई गयी और जमकर नारेबाजी भी की गई
आरा: नगर निगम में शनिवार के दिन बिहार नगर पालिका विधेयक संशोधन 2024 को लेकर बैठक रखी गई थी। बैठक में विधेयक का विरोध करते हुए संशोधन में बदलाव आग्रह किया गया। बैठक के बाद सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गजट की कॉपी जलाई गयी और जमकर नारेबाजी भी की गई। इस दौरान पार्षदों ने पुतला भी दहन किया।
आरा की मेयर इंदु देवी ने स्वायत्तता पर हमला बताया
महापौर ने बिहार नगर पालिका संशोधन विधेयक 2024 के प्रति प्रतिरोध दर्ज कराते हुए इसे सभी नगर निकायों की स्वायत्तता पर हमला बताया। उन्होंने कहा यह विधेयक नगर निकाय में ‘इंस्पेक्टर राज’ लाने की गुपचुप तैयारी है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा नहीं है। यह अधिनियम न केवल जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर कुठाराघात है बल्कि लाखों करोड़ों लोगों के मताधिकार का अपमान भी है।
जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों की हाथों की कठपुतली बनाने की कोशिश
इस अधिनियम के लागू होने से सरकार के सभी निर्देशों को मनाना नगर निकाय की मजबूरी होगी। जाहिर है कि इस अधिनियम के जरिए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों की हाथों की कठपुतली और उनका रबर स्टैंप बनाने की कोशिश की जा रही है। इस अधिनियम से बेहतर तो यह होता कि नगर निकायों में प्रशासक ही नियुक्त कर दिया जाए और चुनाव प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाए।
इस संसोधन को वार्ड पार्षदों ने जन विरोधी एवं लोकतंत्र विरोधी कहा
वार्ड पार्षदों ने बिहार नगर पालिका विधेयक संशोधन 2024 को लेकर विरोध जताया और कहा कि इस संशोधन को हम जनप्रतिनिधि काला विधेयक मानते हैं और इसे जन विरोधी एवं लोकतंत्र विरोधी मानते हुए इसकी वापसी की मांग करते हैं।
नगरपालिका पदाधिकारी को दिया गया मुख्य पार्षद का कार्य
पार्षदों ने कहा कि प्रशासन चलाने में मुख्य पार्षद के अधिकार को छीनकर नगरपालिका पदाधिकारी को दे दिया गया है। मतलब निगम निकाय के प्रशासन को पदाधिकारी ही चलाएंगे। असहमति लोकतंत्र की खूबसूरत होती है। लेकिन इस संशोधन अधिनियम से असहमति के अधिकार को छीना जा रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि राज्य सरकार जो निर्णय लेगी उसे मानना नगर निकाय के लिए बाध्यकारी होगा।