Wednesday, January 22, 2025
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“ऑनलाइन लाइव कनसर्ट विथ कन्वरसेशन” कार्यक्रम का आयोजन

महाजन टोली में शिवादि क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड म्यूजिक की ओर से आयोजित हुआ कार्यक्रम

कथक नृत्यांगना आदित्या ने पंडित बिरजू महराज की गाई हुई ठुमरी ठुमरी ” ठारे रहियो ओ मोरे श्याम रे… पर पेश किया मनोहारी नृत्य

बिहार।आरा (डाॅ. के. कुमार)। राष्ट्र व्यापी लॉकडाउन में सोशल साईट के दरवाजे खुल गये हैं। आरा में आॅनलाइन सांगीतिक आयोजनों का दौर चल रहा है। शहर के महाजन टोली में शिवादि क्लासिक सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड म्यूजिक की ओर से सोमवार को “ऑनलाइन लाइव कनसर्ट विथ कन्वरसेशन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

Online live concert with conversion 1

Republic Day
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संचालन करते हुये एचडी जैन काॅलेज के कला आचार्य गुरु बक्शी विकास ने परिचर्चा का विषय प्रवेश करवाते हुये कहा कि शास्त्र कोई बंधन नही है शास्त्र मुक्ति है। आदि काल से चले आ रहे संगीत को शास्त्र ने ही प्रमाणित किया है। वही नई दिल्ली के मशहूर संगीत संगीत शास्त्री पंडित देवेंद्र वर्मा ने संगीत में शास्त्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि संगीत में छ: राग और छत्तीस रागिनी की प्राचीन परम्परा रही है। आज संगीत की पढाई विश्वविद्यालय स्तर तक पहुँच गई है, संगीत शोध का गहन विषय बन चुका है। संगीत के शास्त्र को समझना आवश्यक है। शास्त्र ही हमें संगीत में राग और ताल से परिचित करवाता है। बिना शास्त्र को समझे गायन वादन करना निरर्थक है।

Pintu bhaiya
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Online live concert with conversion 2

इस परिचर्चा में पुणे के विश्वविख्यात तबला वादक पंडित अरविंद कुमार आजाद ने कहा कि साथ-संगत करना की तबला की उत्पत्ति का मूल उद्देश्य है। व्यक्तिगत रुचि के बगैर कुशल संगतकार होना असम्भव है। तबला में स्वतंत्र वादन और संगत दो अलग पहलू हैं। उत्तर प्रदेश के चौधरी चरण सिंह काॅलेज के प्रो. (डॉ.) लाल बाबू निराला ने कहा अवनद्य वाद्य का विकास दूंदुवि, त्रिपुष्कर, पखावज आदि से होते हुऐ उन्नत तबला वादन वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित है। तबला का प्रचलन लगभग 320 वर्ष पुराना है। तबला का शास्त्र मुख्य रूप से गणित पर आधारित है तथा ताल की मात्र ताल का प्रथम गणितीय रूप है तथा उसका ठेका प्रथम बंदिश होता है।

Online live concert with conversion
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इस कार्यक्रम में बनारस घराने के विश्वविख्यात गायक पंडित रामप्रकाश मिश्र ने द्रुत तीनताल में तराना व दादरा “रखियो बालम वाही नाजरीया….” प्रस्तुत कर अद्भुत समा बांधा। वहीं चर्चित कथक नृत्यांगना आदित्या ने कथक की प्रस्तुति करते हुये नृत्य सम्राट पद्मविभूषण पंडित बिरजू महराज की गाई हुई ठुमरी ठुमरी ” ठारे रहियो ओ मोरे श्याम रे… पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन कथक नर्तक राजा कुमार ने किया। इस ऑनलाइन कन्सर्ट में बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के कई जिलों से कलाकार एवं प्रक्षिक्षु ऑनलाइन शामिल हुये।

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