Abdulbari Siddiqui-अंतरराष्ट्रीय स्तर के नामी अपराधी AIIMS में इलाजरत हैं तो मो. शहाबुद्दीन जो सांसद, विधायक रहे इनको AIIMS में क्यों नहीं?
खबरे आपकी बिहार: राजद नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी Abdulbari Siddiqui ने कहा की मो. शहाबुद्दीन, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक दिल्ली शहर के ITO कब्रिस्तान में सुपूर्द-ए-ख़ाक किये गए। वे मर गए या मारे गए यह बहस तब तक चलती रहेगी जबतक उनकी मौत की न्यायिक जाँच नहीं हो जाती है। हालांकि न्यायिक जाँच की किस हदतक सच्चाई तक पहुंच पायेगा यह अभी कहना मुश्किल है फिर भी जब उनके परिवार और उनके शुभचिंतको की मांग है की न्यायिक जाँच करायी जाए तो फिर जाँच नही कराना तो संदेह को वर्षो तक बल देता रहेगा।
मैंने कभी सोचा नही था कि जो व्यक्ति कानून के राज में पुलिस कस्टडी में हो, सज़ा काट रहा हो, कानून पर निर्भर हो वो बेहतर इलाज से महरूम कैसे रह जायेगा? मैं लगातार उनके परिवार खास तौर पर उनकी अहलिया हिना शहाब उनके शुभचिंतको के समपर्क में रहा। जैसे-जैसे उनलोगों जिनसे भी संपर्क करने को कहा उनसे संपर्क करता रहा। चाहे मुख्यमंत्री, बिहार हो या लालू जी या दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टर, सुपरिटेंडेंट या मीसा भारती, सांसद वगैरह।
दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉ0 रवि पाठक बार-बार कहते रहे की उनके बेहतर इलाज के लिये उन्होंने Higher Institution के लिए अनुशंसा की है। उन्होंने यह भी बताया की DG, Jail ने भी अनुशंसा की है। ऐसा नहीं है की हमारी पार्टी के वरिष्ट नेताओं ने शहाबुद्दीन साहब के अच्छे इलाज हेतु उन्हें AIIMS भेजने के लिए दबाव नही बनाया। अस्पताल सूत्रों के द्वारा उनकी तबियत critical होने की बात बतायी गयी। फिर बताया गया कि उनका निधन हो गया। ऐसी स्थिति में उन्हें Higher Institution में नही भेजे जाने का खुलासा तो जेल प्रशासन और गृह विभाग को तो करना ही करना था। ऐसा क्यों नहीं किया गया?
शायद जेल प्रशासन द्वारा उनकी मृत्यु के बाद की जो तस्वीर social media पर आयी है उसे देखने से लगता है कि वे महीनों से बीमार हो। मुझे ऐसा बताया गया है कि छोटा राजन जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के नामी अपराधी हैं AIIMS में इलाजरत हैं तो मो0 शहाबुद्दीन जो सांसद, विधायक रहे को AIIMS में क्यों नहीं? COVID PROTOCOL के नाम पर उन्हें अपने गाँव नहीं भेजा गया तो दूसरों को कैसे?
संविधान ने व्यवस्था की है बिना भेदभाव, राग, द्वेष के कार्य करने का। हम सब जब कभी किसी संवैधानिक पद पर जाते है तो इसकी शपथ भी खाते हैं। मैं फसबुककीय नही हूँ, यदा-कदा कुछ पोस्ट करता हूं। उनकी मौत की खबर एक पहेली की तरह है। कभी खबर चली की उनकी मौत हो गयी फिर उनकी मौत का खंडन की वे इलाजरत है और कुछ घंटों के बाद फिर उनकी मौत। मैंने कभी सोचा नहीं था की ऐसा होगा, मैं स्तब्द्ध हूँ।
मेरा उनसे केवल राजनीतिक रिश्ता नहीं था। उनके दादा मरहूम मेरे नाना मरहूम अमीर-ए-शरियत मौलाना अब्दुर रहमान साहब के मुरीद थे। उनके मामू Judicial Magistrate बेहद ईमानदार मेरे घनिष्ट थे। जो घटनाक्रम है उससे गुस्सा स्वाभाविक है। जब भी पार्टी पर किसी तरह का संकट आया तो शहाबुद्दीन साहब पार्टी के लिए स्तम्भ बनकर खड़े रहे और पार्टी के नेता श्री लालू प्रसाद जी भी उनके लिए।
बहुत सारी यादें हैं अभी कुछ महीने पहले कोर्ट के आदेश से परिवार से मिलने दिल्ली में जेल से बाहर पुलिस कस्टडी में आये थे। उन्होंने किसी के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर मुझे समपर्क किया। बहुत अपने की तरह मेरा हालचाल पूछा। मैंने उनसे पूछा आप कौन बोल रहे है तब उन्होंने अपना नाम बताया। फिर उन्होंने कहा की आऊंगा तो ढेर सारी बातें होंगी। अब वो बातें कभी नहीं होंगी।
उनके साथ की एक तस्वीर जब मैं Abdulbari Siddiqui और वे सिडनी ओलिंपिक में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा गए थे, उस वक़्त की तस्वीर। मो0 शहाबुद्दीन साहब की मौत से मुझे कभी न पूरा होने वाला छती पहुंचा है। वो मेरे छोटे भाई की तरह थे, जो मेरे अच्छे-बुरे वक्त पर कंधा से कंधा मिलाकर चलते थे। उनके गुज़र जाने से मुझे बेहद गम है। उस गम को अल्फाज़ो से बयान करने के लिए मेरे पास अल्फ़ाज़ नही हैं। पार्टी, पार्टी के नेताओं, उनके शुभचिंतको को उनके परिवार खासतौर पर उनके बच्चों और उनकी पत्नी हिना शहाब के साथ परिवार की तरह दुख-सुख में मज़बूती से खड़ा होना ही सच्ची अक़ीदत श्रद्धांजलि होगी।
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