Moonlight – Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाना और उसका सेवन करना एक प्राचीन परंपरा है, जो आज भी लोगों के बीच प्रचलित है।
- हाइलाइट: Moonlight – Sharad Purnima
- माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी के रूप में अमृत की वर्षा होती है
आरा। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाना और उसका सेवन करना एक प्राचीन परंपरा है, जो आज भी लोगों के बीच प्रचलित है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा का दिन और रात धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन के लिए विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी के रूप में अमृत की वर्षा होती है, जिसमें कई तरह की खूबियां पाई जाती हैं। लोग इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाते हैं, जिसमें परिवार और मित्र एकत्रित होते हैं और एक-दूसरे के साथ खीर का सेवन करते हैं। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इस अमृत का मानव शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा की रोशनी के प्रभाव से कई तरह के असाध्य रोगों से मानव शरीर को मुक्ति भी मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से न केवल आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है, बल्कि लक्ष्मी माता की कृपा भी बनी रहती है। यह दिन विशेष रूप से समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में विशेष ऊर्जा होती है, जो मानव जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने में सहायक होती है।
दूध का चंद्रमा से सीधा संबंध जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं में सकारात्मक ऊर्जा जागृत हो जाती है और उन्हें अमृत के समान गुण समावेशित हो जाती है। इस दिन, बहुत सारे लोग असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर बनाते हैं। चांद की रोशनी में तैयार किया गया खीर के सेवन करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही, यह कई तरह के असाध्य रोगों से छुटकारा पाने में भी मदद करता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह माना जाता है कि इस खीर में पौष्टिकता प्रचुर मात्रा में होती है। यह शरीर में रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। खीर में मौजूद तत्व जैसे कि चावल, दूध, चीनी और सूखे मेवे, सभी मिलकर एक संपूर्ण पोषण प्रदान करते हैं। वहीं, कुछ लोग संध्या समय में ही खीर को बनाकर चंद्रमा की रोशनी में देर रात तक रखते हैं। इसके साथ ही, वे उसमें पीपल के छाल को चूर्ण बनाकर मिश्रित कर उसका सेवन करते हैं। यह विशेष रूप से श्वास एवं यकृत संबंधी रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में गर्भवती महिलाओं को जरूर बैठना चाहिए। इससे गर्भ में पलने वाले बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी से गर्भस्थ शिशु को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। वही मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाएं छह लड्डू बनाकर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करती हैं और उनमें से एक लड्डू स्वयं सेवन करती हैं। यह न केवल उनकी सेहत के लिए लाभकारी होता है, बल्कि माता लक्ष्मी की कृपा होती है।



