Sunday, November 24, 2024
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भाजपाई औजार बनकर जगदेव बाबू के सपनों को कुचलना चाहते है उपेंद्र भैया- श्रीभगवान सिंह कुशवाहा

Upendra Kushwaha – Shri Bhagwan singh: जगदेव बाबू का सपना सौ में नब्बे की लड़ाई रही है। हम समाज के लोगों से आग्रह करेंगे की कहीं झांसे में रहने की जरूरत नहीं है। पिछड़ों की आबादी 63%, दलित की आबादी 19 परसेंट और अल्पसंख्यकों की आबादी 17 परसेंट को संगठित करने की जरूरत है।

  • हाइलाइट :- श्रीभगवान सिंह बोले
    • उपेन्द्र कुशवाहा समाज को धोखा एवं दिगभ्रमित करते रहे हैं
    • ज्ञापन में एक शब्द भी कुशवाहा समाज के बारे में वर्णन नहीं है

Upendra Kushwaha – Shri Bhagwan singh: बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री सह जदयू नेता श्रीभगवान सिंह कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा पर बड़ा हमला करते इन्हे समाज को धोखा देनेवाला बतलाया है । श्रीभगवान सिंह कुशवाहा ने कहा है की बड़े भाई उपेंद्र कुशवाहा जी आप बराबर अपने कुशवाहा समाज को धोखा एवं दिगभ्रमित करते रहे हैं। आपके द्वारा माननीय राज्यपाल को दिए गए ज्ञापन में कहीं एक शब्द भी कुशवाहा समाज के बारे में वर्णन नहीं है। आपकी कोशिश समाज को हिसेदारी दिलाने की नहीं बल्कि भाजपाई औजार बनकर अमर शहीद जगदेव बाबू के सपनों को कुचलना की है।

जगदेव बाबू का सपना सौ में नब्बे की लड़ाई रही है। हम समाज के लोगों से आग्रह करेंगे की कहीं झांसे में रहने की जरूरत नहीं है। पिछड़ों की आबादी 63%, दलित की आबादी 19 परसेंट और अल्पसंख्यकों की आबादी 17 परसेंट को संगठित करने की जरूरत है।

बता दें की उपेंद्र कुशवाहा व इनकी पार्टी ने बिहार सरकार द्वारा जाति और सामाजिक आर्थिक सर्वे के नाम पर फर्जी और आधे-अधूरे आंकड़ों के सम्बन्ध में माननिये राज्यपाल (बिहार ) को पत्र लिखकर कई तरह की विसंगतियों को इंगित किया है।

पत्र में कहा है सामाजिक-आर्थिक सर्वे के पहले चरण के जारी जातिगत आंकड़ों में कई तरह की विसंगतियां हैं। यह भी जानकारी मिल रही है कि हजारों-लाखों परिवार ऐसे हैं, जिनके यहां कोई भी व्यक्ति सर्वे करने गया ही नहीं। ऐसे में इस बात की बड़ी आशंका है कि या तो उनका विवरण सर्वे में आया ही नहीं या पड़ोस मे आधी-अधूरी जानकारी लेकर सर्वे में डाल दी गई है।

मौजूदा सरकार ने सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए कई जातियों के आंकड़ों को कम करके दिखाने का काम किया है। दर्जन भर से ज्यादा जातियों को कमतर दिखाया गया है, जबकि जमीनी हालान इससे बेहद अलग हैं। ऐसे में जो जातियां पहले से ही कमजोर हैं. उनको आगे भी नीतियों में कई तरह का नुकसान उठाना पड़ेगा। उन विसंगतियों को ठीक किए बगैर भविष्य में अपनाई जाने वाली किसी भी नीति में सम्पूर्णता का अभाव रहेगा।

यही नहीं, अब तो यह भी सामने आ रहा है कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में बहेलिया जाति, चंद्रबंधी (कार, कमकर) जाति और माली (मालाकार) जातियों की जो संख्या बताई गयी है वह इथनोग्राफी अध्ययन में कम है। इन तीनों जातियों का इथनोग्राफी अध्ययन भी सामान्य प्रशासन की ओर से कराया गया है। इथनोग्राफी रिपोर्ट एएन मिन्हा समाज अध्ययन संस्थान, पटना द्वारा किया गया है।

इथनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार बनिया जाति की मंख्या 67,535 है, जबकि जाति गणना में इसकी संख्या 8026 बनाई गई है। इसी तरह से बहार की संख्या नोग्राफी रिपोर्ट में 30,32,800 बनाई गई है जबकि जाति गणना में इनकी संख्या सिर्फ 21,55,644 बताई गई है। वहीं माली की संख्या इथनोग्राफी रिपोर्ट में 13,15,465 बताई गई है जबकि जाति गणना में इनकी संख्या सिर्फ 3,49,285 ही बताई गई है। लगभग कमजोर जातियों में इस तरह की विसंगतियां हैं।

ऐसे में जिन जाति वर्गों को यह लगता है कि उनकी संख्या को जान बुझकर कम दिखाया गया है या जिनकी गणना छूट गई है, उनके भीतर हमेशा ही असंतोष का भाव बना रहेगा। ऐसे में महामहिम से आग्रह होगा कि वे इसमें करें और सम्पूर्ण आंकड़ों को जारी करने से पहले पंचायत स्तर पर आंकड़ों को दोबारा जांचा जाए और जो परिवार इससे वंचित रह गए हैं उनके विवरण को भी सामाजिक आर्थिक सर्वे का हिस्सा बनाया जाए।

एक बात और, सामाजिक आर्थिक सर्वे को जारी करने से पहले और कोर्ट में दिए हलफनामा के अनुसार किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जाना है। लेकिन जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेंद्र कुशवाहा जी की जानकारी को लीक किया है वो आपराधिक घटना है।

जबकि हमारे नेता कई बार कह चुके हैं कि उनमें किसी ने भी कोई सर्वे नहीं किया गया है। जाहिर है जेडीयू की तरफ से फर्जी आंकड़ा जारी किया गया। साथ में, यह भी महत्वपूर्ण है कि सर्वे में जुटाई गई जानकारी की गोपनीयता मंदिग्ध
है। इन सभी पहलुओं पर बिहार के महामहिम महोदय से संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

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