Former chairman – Shahpur: शाहपुर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन सह पार्षद बबीता देवी ने कहा की वर्तमान में सफाई कर्मियों की कमी के कारण नगर का सफाई कार्य काफी प्रभावित हो रहा है।
- हाइलाइट्स: Former chairman – Shahpur
- सफाई कर्मियों की रिपोर्ट के लिए पूर्व चेयरमैन की सुझाव और शिकायतें
- पूर्व चेयरमैन सह पार्षद बबीता देवी ने कहा: ठेका प्रथा पर शीघ्र रोक लगनी चाहिए
Former chairman – Shahpur आरा: शाहपुर नगर पंचायत, जो नागरिकों की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य का संरक्षण करने के लिए उत्तरदायी है। सफाई कर्मियों की नियमित गतिविधियों तथा उनके कार्यक्षेत्र में व्यवस्थित सुधारों के लिए सुझाव एवं शिकायतों का उचित समाधान किया जाना आवश्यक है। पूर्व चेयरमैन सह पार्षद बबीता देवी ने कहा की वर्तमान में, सफाई कर्मियों की कमी के कारण कई क्षेत्रों में सफाई कार्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा की निम्नलिखित उचित सुझावों का पालन और शिकायतों का समाधान करके, हम स्थितियों को सुधार सकते हैं और सम्पूर्ण नगर पंचायत की सफाई व्यवस्था को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
सुझाव….1. शाहपुर नगर पंचायत के वर्षों से रिक्त पड़े पदों पर सफाई कर्मियों की स्थायी बहाली शीघ्र की जानी चाहिए। पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मियों की बहाली होने के बाद ही नगर को साफ-सुथरा बनाया जा सकता है।
2. शाहपुर नपं की साफ-सफाई के लिए शुरू की गई ठेका प्रथा पर शीघ्र रोक लगनी चाहिए। नगर पंचायत की ओर से पूर्व की तरह साफ-सफाई व्यवस्था की जानी चाहिए।
3. सफाई कर्मियों को कार्य के दौरान सुरक्षित रखने के लिए निर्धारित मापदंड के अनुसार सुरक्षा उकरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। ताकि सफाई कर्मी दुर्घटना के शिकार नहीं हों। साफ-सफाई का काम भी सही तरीके से हो सके।
4. सफाई कर्मियों का कार्य के दौरान शोषण बंद हो। एजेन्सी द्वारा नाबालिग बच्चों से काम कराने पर रोक लगे, इसके लिए नगर पंचायत की ओर से एक मॉनटरिंग कमेटी का गठन किया जाना चाहिए। शोषण करने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे ऐसी घटना में कमी आएगी।
5. नगर पंचायत के द्वारा नगर की बेहतर सफाई व्यवस्था के लिए सभी वार्डों के लिए पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मियों की स्थायी बहाली के लिए प्रयास तेज करने की जरूरत है। ऐसा होने पर नगर क्लीन दिखेगा। इस पर प्रशासनिक अधिकारियों को विचार करना होगा।
शिकायतें…1. वाहन की कमी, सफाई कर्मियों की समस्याओं के निदान पर कार्यरत एजेन्सी और नगर पंचायत कोई सुधि नहीं लेता है। ऐसी स्थिति में सफाई कर्मी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। वही एजेन्सी द्वारा कई नाबालिग से सफाई का काम कराया जाता है। जिससे अपराध बोध (स्वयं को दोषी महसूस करना) होता है।
2.सफाई कर्मियों को साप्ताहिक छुट्टी के दिन की पारश्रमिक नहीं दी जाती है। मजदूरों का कहना है कि रविवार को छुट्टी तो मिलती है। उस दिन का वेतन नहीं दिया जाता है। इन्हे सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दि जाती है।
3. वार्ड में कितने सफाई कर्मी कार्य करते है। सफाई मजदूरों को वार्ड में हाजिरी बनाने का सिस्टम लागू नहीं किया गया है। सफाई कर्मियों को कार्य स्थल से काफी दूर हाजिरी बनाने के लिए नगर कार्यालय जाना पड़ता है। जिसमें काफी समय लग जाता है। इसके कारण सफाई कार्य प्रभावित होती है।
4. सफाई कर्मियों को सफाई उपकरण दिए बगैर काम लिया जाता है। पेट के खातिर किसी तरह काम करना मजबूरी हो जाती है। उपकरण मिल जाने से सुरक्षित ढ़ग से काम होता।
5. सफाई कर्मियों को कड़ाके के ठंड में भी गर्म कपडें की आपूर्ति नहीं की जाती है। एजेन्सी द्वारा किसी तहर की कोई बीमा भी नहीं कराई गई है। काम के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर एजेन्सी सफाई मजदूरों का साथ नहीं देती और काम से हटाने के डर से कोई नाम लेने वाला भी नहीं रहता है।