डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे भोजपुर जिला के शाहपुर से लड़ सकते विधानसभा चुनाव
समर्थकों में खुशी: विधानसभा की जातीय समीकरण भी ब्राह्मणों को लुभाती रही है
राजद विधायक राहुल तिवारी ने भी माना संभव है रिजाइन देकर जदयू कोटे से लडे
बिहार पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के शाहपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेजी से फैलने लगी है। भोजपुर जिला के शाहपुर विधानसभा ब्राम्हण बहुल क्षेत्र माना जाता है। शायद विधानसभा की जातीय समीकरण को देखते हुए भी इस तरह की बातों को बल मिल रहा हो ऐसा माना जा सकता है। लेकिन चर्चा सियासत के शीर्ष से लेकर शाहपुर के गांवों में खूब हो रही है।
वैसे विगत विधानसभा चुनाव के समय ही शाहपुर भाजपा कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति हो गयी थी। सिटिंग विधायक का टिकट काट भाजपा नेतृत्व ने तब के प्रदेश उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा को प्रत्याशी बनाया था। विशेश्वर ओझा के चुनाव हारने व उनकी हत्या के साथ ही शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं के चुनावी घमासान व आपसी कटुता व कई प्रत्याशियों को देखते हुए पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में भी काफी असमंजस की स्थिति दिखाई दे रही है। ऐसे में पार्टी के नेताओं व गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं के साधने के प्रयास का नतीजा हो सकता है।
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वर्तमान समय में डीजीपी के पद पर आसीन गुप्तेश्वर पांडे का जुड़ाव शाहपुर विधानसभा के गांवो में जमीनी स्तर पर है। जमीन हकीकत तलाशने में जुटे समर्थक काफी खुश है। विदित रहे कि डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की चर्चा पहले भी लोकसभा चुनाव लड़ने की होती रही है। फिलहाल उनका कार्यकाल अगले छह माह तक ही है। अगर चर्चा की बात करें तो फिर विधानसभा चुनाव के लिए दो माह के भीतर रिटायरमेंट की घोषणा कर सकते हैं। ऐसा कयास लगाये जा रहे है कि श्री पांडे जदयू के टिकट पर बक्सर सदर व शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों की माने तो शाहपुर उनके लिए सबसे मुफीद क्षेत्र होगा।
राजीतिक गलियारों में भी यह चर्चा जोरों पर है क्या डीजीपी साहब इतनी जल्दी चुनाव लड़ेंगे? वैसे शाहपुर विधानसभा में भाजपा, जदयू व लोजपा के नेताओं में चुनाव लड़ने के लिए प्रतिद्वंदिता बढ़ती जा रही है। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2004 में भाजपा नेता स्व विशेश्वर ओझा की पत्नी शोभा देवी जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ी थी। परंतु उन्हें सफलता नही मिली। लेकिन 2005 के मध्यावधि चुनाव में यह सीट भाजपा के कोटे में गई और तब शाहपुर जिप सदस्य रही मुन्नी देवी ने भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा। उन्होंने तब राजद के कद्दावर नेता शिवानंद तिवारी को हराया था और लगातार दो बार विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया।
परंतु उनकी इस जीत के केंद्र में भाजपा नेता स्व विशेश्वर ओझा की भूमिका को श्रेय दिया गया। लेकिन वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव के भाजपा ने सिटिंग एमएलए मुन्नी देवी का पत्ता साफ कर दिया और भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष रहे विशेश्वर ओझा को टिकट दिया। लेकिन वो शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी से हार गए। इस हार के बाद भाजपा में दो धुरी बन गई। यह धुरी पार्टी के और परेशानी वाली बनी जब 2016 में विशेश्वर ओझा की हत्या हो गई। आपसी घमासान को देखते हुए जदयू के स्थानीय नेताओं ने भी शाहपुर को जदयू के कोटे में लाने की मांग जोर शोर से उठाना शुरू कर दिया।
विधायक राहुल तिवारी ने कहा ऐसा संभव है कि डीजीपी रिजाइन देकर जदयू कोटे से चुनाव लड़े
वर्तमान समय में शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी ने भी डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के शाहपुर से चुनाव लड़ने की बात मानी। उन्होंने कहा कि ऐसा संभव है कि वो चुनाव लड़े।