Tuberculosis infection: यक्ष्मा की सूचना, रिपोर्टिंग बढ़ाने पर जोर
Bihar/Ara: आरा सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र पर बुधवार को मासिक बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता एसीएमओ डॉ. केएन सिन्हा ने की। बैठक में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से यक्ष्मा सुपरवाइजर, यक्ष्मा लैब टेक्नीशियन सहित कई कर्मी के अलावे, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ.ए.अहमद एवं जिला यक्ष्मा केंद्र के शशि प्रभा, ओम प्रकाश, दीपक, डीपीसी मृदुला सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।
डॉ. ए. अहमद ने यक्ष्मा की सूचना, रिपोर्टिंग बढ़ाने पर जोर दिया। कहा कि हमारे यहां और देश में यक्ष्मा के बहुत से रोगी हैं। बावजूद इसके रिपोर्टिंग और इनकी खोज, डायग्नोसिस संतोषजनक नहीं है। यक्ष्मा का छाती के अलावे शरीर के दूसरे भाग में भी इसका प्रकोप हो सकता है। जैसे दिमाग, हड्डी, पेट, आंत और बच्चेदानी आदि कई अंग। छाती के अलावे दूसरे अंग के यक्ष्मा संक्रमण की डायग्नोसिस करने में काफी दिक्कत होती है।
कभी-कभी सारे डायग्नोस्टिक टेस्ट नार्मल रहने के बाद भी यक्ष्मा हो सकता है। इस स्थिति में क्लीनिकल एसेसमेंट बहुत उपयोगी होता है। जैसे मरीज का बहुत दिनों तक बीमार रहना, शाम को महीनों से बुखार आना, शरीर का वजन गिरना, भूख नहीं लगना आदि। ऐसी स्थिति में कभी-कभी 15 दिनों तक मरीज के लक्ष्ण पर,दवा से इलाज कर, थैरेपीयूटिक डायग्नोसिस की भी जरूरत पड़ सकती है।
सभी संबंधित लोग अपने क्षेत्र में टीवी की जल्द से जल्द डायग्नोसिस कर उसका इलाज शुरू करने की कोशिश करें । नहीं तो काफी लेट होने पर कई कंपलीकेशन हो सकते हैं। जैसे ब्रेन टीबी में लकवा, पैरालिसिस या दोनों आंखों की रोशनी भी जा सकती है। किडनी फेल होना, लीवर की समस्या के साथ-साथ कभी-कभी बांझपन भी टीवी के चलते हो सकता है। सभी संबंधित लोग एवं जनता को टीवी के बारे में काफी सतर्क रहना है, ताकि समय से टीवी को पहचान कर उसका इलाज किया जा सके।
Tuberculosis infection: टीवी की दवा रेगुलर कोर्स कंप्लीट करना चाहिए, नहीं तो रेसिस्टेंट टीवी होने पर इलाज मुश्किल हो जाता है। डॉ. अहमद ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को टीवी की जांच खासकर खखार की जांच नियमित कराने का निर्देश दिए। पीरो के जैसा अन्य जगहों पर भी यक्ष्मा सहायता केंद्र खोलने पर डॉ. अहमद ने जोर दिया।