आर्थिक अपराध के मुख्य षड़यंत्रकर्ता व चेहरा चमकाने वाले मुख्यपार्षद के कारण जगदीशपुर की छवि खराब हुई-रंजीत राज
आरा। (जितेंद्र कुमार)रंजीत राज की एक नजर जगदीशपुर के सरकारी राशि गबन, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा, वित्तीय अनियमितता, बिहार सरकार के नियमों कानून का अवहेलना करना, उल्लंघन, अभियुक्त को संरक्षण देना, षड्यंत्र करना आदि इन शब्दों की सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया, किसी किताब, स्थानीय एवं बाहर में कही जिक्र एवं चर्चा होती है तो नगर पंचायत जगदीशपुर, भोजपुर की तरफ बरबस ध्यान आकृष्ट हो जाता है। नगर पंचायत जगदीशपुर इन सभी शब्दों से ओत-प्रोत है। यहाँ भर्ष्टाचार को ही विकास की उपाधि से नवाजा गया है।
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रंजीत राज ने कहा कि कोरोना वायरस ने अभी तक सभी व्यक्तियों को अपने गिरफ्त में नही लिया है मगर नगर पंचायत की भ्रष्टाचार ने पूरी शासन प्रणाली को अपने गिरफ्त में ले लिया है। कोरोना को समाप्त करने के लिए जिस तत्परता से आदेश का निर्वहन हो रहा है वही भ्रष्टाचार के प्रति उतनी ही लापरवाही है। इनकी भ्रष्टाचार के आगे सभी नतमस्तक है। आर्थिक अपराध कि जो नींव मुख्य पार्षद की पत्नी रीता कुमारी ने अपने कार्यकाल में रखी उस नींव पर मुख्यपार्षद मुकेश कुमार उर्फ गुड्डू ने विशालकाय महल का निर्माण कर दिया है। इस महल का प्रत्येक हिस्सा को भ्रष्टाचार रूपी आर्थिक अपराध के सामग्री से निर्माण कराया गया। इस महल को धराशाही करना किसी स्थानीय पदाधिकारी के बस की बात नहीं रह गई है?
रंजीत राज ने कहा कि भर्ष्टाचार का नया भस्मासुर ”निविदा” है। योजना संख्या – 113/2018-2019 में जिस तरफ षड्यंत्र, फर्जीवाड़ा की गई है, वो दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के मामले में नगर पंचायत जगदीशपुर को टक्कर देने वाली शायद ही कोई नगर निकाय होगी। इस योजना संख्या में तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी विजय नारायण पाठक, पीठासीन पदाधिकारी -सह- मुख्यपार्षद मुकेश कुमार उर्फ गुड्डू , कनीय अभियंता एवं संवेदक व विद्यासागर गुप्ता सहित अन्य ने जो षड्यंत्र की है वह काबिले तारीफ है।
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रंजीत राज ने कहा कि वगैर निविदा के ही कार्य योजना का आवंटन कर संवेदक विद्यासागर गुप्ता को कार्य-योजना की 23 लाख 31 हजार 814 रुपयें की कार्य आवंटित कर राशि भुगतान कर दी जाती है। फिर असल खेल जो होता है वह और भी मजेदार है। बिहार सरकार को धोखा देने के आशय से दैनिक समाचार पत्र में अल्पकालीन निविदा भी प्रकाशित करवाई जाती है। इन सभी को पता है कि सरकारी राशि की लूट गबन पर शिकायत होगी इसलिए अभिलेख से छेड़छाड़ कर फर्जी अभिलेख भी तैयार कर लेते हैं।
रंजीत राज ने कहा कि नगर पंचायत ने अपने बचाव के लिए कुछ शब्दों का चयन किया है। यथा भूलवश, विवाद के कारण, आम नागरिक के कारण, त्रुटिवश, लिपिकीय भूल, बुद्धिभ्रांत इत्यादि का बहाना बनाकर अपना बचाव करते हैं एवं बेबुनियाद तथ्यों पर अधिकारी भी विश्वास कर इनको अगली भर्ष्टाचार के तहत राशि गबन करने का मौका देते है। अधिकारी गबन लूट के संदर्भ में अभिलेख देखना महत्वपूर्ण नहीं समझते हैं। सरकार के आदेश/निर्देश, कानून का उल्लंघन हुआ है कि नहीं इन सभी कानूनी तथ्यों पर ध्यान नहीं देकर अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार करने की मंजूरी दे देते हैं। योजना संख्या – 113/2018-2019 में जिस तरह से एक नियत होकर आर्थिक अपराध को अंजाम दिया गया है। इन सब तथ्यों से राज्य के उच्च पदाधिकारियों सहित नगर कार्यपालक पदाधिकारी को भी अवगत कराया गया है। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात होगी कि स्थानीय स्तर पर क्या करवाई होती है?
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रंजीत राज ने कहा कि मेरे आवेदन में उठाये गए शिकायतों पर विधि के अनुरूप सभी साक्ष्यों एवं कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी या सिर्फ नगर पंचायत के भ्रष्ट मंडली के शब्दों के आधार पर ही एक बार पुनः भ्रष्टाचारियों को छूट दे दी जाएगी? नगर पंचायत के जब भी राशि गबन को उजागर करो तो छूट क्यों दी जाती है? आखिर कितने करोड़ रुपये योजनाओं के नाम पर गबन की गई है, जिसकी शृंखला टूटती ही नहीं है?
रंजीत राज ने कहा कि जिस तरह सरकारी राशि से अपनी भ्रष्टाचार छुपाने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करवाये जाते है क्यों नहीं उसी राशि का उपयोग नगर पंचायत क्षेत्र में कराये गये सभी कार्यों का वित्तीय वर्षवार पूर्व से अब तक सभी का विस्तृत स्पष्ट पारदर्शिता से प्रकाशित कर नगर की जनता-जनार्दन के अदालत में प्रस्तुत कर सच्चाई बताई जाए।