Friday, May 17, 2024
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2014 में अयोग्य, 2022 में फिर पार्षद, निर्वाचन आयोग के आदेश पर जांच शुरू

State-election-commission: SECC शहरी ड्राफ्ट सूची वार्ड 08 में आशा देवी के चौथे पुत्र शिवम का जन्म 2008 में होने का साक्ष्य पाया गया था। सरकारी साक्ष्य के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग ने पार्षद की सदस्यता को रद्द कर दिया था।

  • हाइलाइट
    • 2014 में राज्य निर्वाचन आयोग ने किया था अयोग्य घोषित
    • 2022 के चुनाव में फिर बनी पार्षद, जांच का आदेश

State-election-commission बिहार/पटना: भोजपुर जिला के शाहपुर नगर पंचायत के वार्ड संख्या 08 के पार्षद को नोटिस जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जबाब मांगा गया है। दर्ज वाद संख्या 38/2023 के तहत पार्षद की आयोग्ता को लेकर आयोग द्वारा जांच का आदेश भी दिया गया है। जानकारी के अनुसार उक्त पार्षद को राज्य निर्वाचन आयोग ने 2014 में अयोग्य घोषित कर दिया था और आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगाकर इनके विरुद्ध भोजपुर डीएम को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश भी दिया गया था।

Election Commission of India
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बता दें की उक्त पार्षद द्वारा शपथ पत्र में तीन पुत्रों का जिक्र किया था परंतु जांच के दौरान उक्त पार्षद के चौथे पुत्र का जन्म 9/12/2008 का सरकारी प्रमाण (साक्ष्य ) मिलते ही तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को अयोग्यता अर्जित करने संबंधित सूचना दी गई थी ।

जांच में रेफरल अस्पताल शाहपुर में पार्षद आशा देवी के चौथे पुत्र का जन्म 9/12/2008 को होने एवं BCG टीकाकरण सहित मातृत्व अनुदान की राशि लेने का दर्ज अभिलेख सत्य पाया गया था। अस्पताल के तत्कालीन प्रभारी द्वारा तत्कालीन नगर कार्यपालक पदाधिकारी शाहपुर को सभी अभिलेख उपलब्ध कराये गये थे । SECC शहरी ड्राफ्ट सूची वार्ड 08 में आशा देवी के चौथे पुत्र शिवम का जन्म 2008 में होने का साक्ष्य पाया गया था। सरकारी साक्ष्य के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग ने पार्षद की सदस्यता को रद्द कर दिया था।

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सदस्यता रद्द होने के उपरांत उक्त पार्षद ने चुनाव याचिका 01/12 व्यवहार न्यायालय आरा भोजपुर मे लंबित का हवाला देकर पटना हाई कोर्ट में याचिका दर्ज कराई थी। माननिये उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में न्यायालय श्रीमान मुंसिफ़ सह चुनाव न्यायाधिकरण,जगदीशपुर, भोजपुर के द्वारा अभिलेख अवलोकन के दौरान अंतिम निर्णय निष्प्रभावी होने के आलोक में वाद को खारिज कर दिया गया था।

बता दें की वर्तमान याचिकाकर्ता रीना देवी के सूचना के आधार पर दर्ज वाद संख्या 38/2023 के तहत राज्य निर्वाचन आयोग (State-election-commission) ने जांच के आदेश दिए है। इसकी जांच भी शुरू हो गई है। कानून का दुरुपयोग कर वार्ड पार्षद अभ्यर्थी पर एक बार फिर गाज गिरना लगभग तय माना जा रहा है।

क्या कहता है कानून?

बिहार नगरपालिका अधिनियम (कानून) 2007 में बना। इस अधिनियम की धारा 18 में नगर निकाय चुनाव के लिए अयोग्यता की चर्चा है। धारा 18 (1) (द् ) में साफ तौर पर उन उम्मीदवारों को नगर निकाय चुनाव के लिए अयोग्य करार दिया गया है जिन्हें 2 बच्चों के जीवित रहते तीसरा बच्चा कानून बनने के एक साल बाद होता है। यानी 04 अप्रैल 2008 के बाद तीसरे बच्चा होने पर चुनावी योग्यता खत्म हो जाती है।

पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभय कुमार पांडेय ने बताया की हाईकोर्टने ने भी अपने महत्वपूर्ण फैसले में बिहार नगरपालिका अधिनियम की उस धारा को सही ठहराया है जिसके तहत दो जीवित बच्चों के मां-बाप को 2008 के बाद तीसरा बच्चा पैदा होने पर उन्हें नगर निकाय चुनाव की उम्मीदवारी के अयोग्य करार दिया जाता है।

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