Smart Meter – Bill: सहर प्रखंड मुख्यालय में पीएचईडी की पानी टंकी चलाने के लिए बिजली का स्मार्ट मीटर लगाये जाने के बाद बिल इस कदर बढ़ा है कि पिछले करीब दस दिनों से विभिन्न वार्डों में पानी की आपूर्ति ही ठप हो गई है।
- हाइलाइट : Smart Meter – Bill
- पहले औसतन 30 से 45 हजार मासिक बिल आता था और अब एक लाख –
- पिछले दस दिनों से पानी की आपूर्ति ठप रहने से बढ़ी है लोगों की परेशानी –
- सहार टंकी से वार्ड तीन, चार, छह, सात, आठ और नौ में पानी की आपूर्ति
Smart Meter – Bill आरा/सहार: प्रखंड मुख्यालय में पीएचईडी की पानी टंकी चलाने के लिए बिजली का स्मार्ट मीटर लगाये जाने के बाद बिल इस कदर बढ़ा है कि पिछले करीब दस दिनों से विभिन्न वार्डों में पानी की आपूर्ति ही ठप हो गई है। सहार में जनता की प्यास बुझाने और नल का शीतल व स्वच्छ जल लोगों तक पहुंचाने के लिए टंकी बनायी गयी थी। फिलहाल इसकी आपूर्ति सहार पंचायत के वार्ड नंबर तीन, चार, छह, सात, आठ और नौ में की जा रही थी, परंतु इन दिनों पानी टंकी से आपूर्ति बाधित है। इससे उपभोक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है l
जलापूर्ति बाधित होने का मुख्य कारण लगाये गये स्मार्ट मीटर में कथित तौर पर गड़बड़ी के कारण अधिक बिल का आना बताया जा रहा है। सहार में नल जल योजना के कनीय अभियंता संजीव कुमार की मानें तो जब से स्मार्ट मीटर लगा है, तब से बिजली बिल अत्यधिक आ रहा है। इस गड़बड़ी के कारण कुछ दिनों से पानी की आपूर्ति बाधित है। उन्होंने बताया कि स्मार्ट मीटर से पहले बिल महीने में 30 हजार के आसपास आया करता था पर स्मार्ट मीटर लग जाने के बाद तकरीबन एक लाख तक आ गया है।
एसडीओ जगदीशपुर सूर्यदेव राम ने बताया कि सहार के ऑपरेटर से इस बारे में मुझे जानकारी मिली है और उन्होंने बताया है कि स्मार्ट मीटर लगाये जाने के बाद बिजली बिल अत्यधिक आ रहा है। हमने संवेदक व ऑपरेटर को इस संबंध में बिजली विभाग से शिकायत करने को कहा है। वहीं संवेदक संजय कुमार सिन्हा ने बताया जिस मीटर को 400 किलो वाट उठाना चाहिए था, वह करीब 600 वाट उठा रहा है, जो गड़बड़ है। उन्होंने बताया कि ऑपरेटर ने बिजली विभाग से संपर्क किया है और स्मार्ट मीटर में सुधार जल्द होने की संभावना है जिसके बाद बिजली बिल में कमी आ सकेगी।
वहीं पानी टंकी के कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हमारे यहां स्मार्ट मीटर बीते 19 सितंबर को लगाया गया है। गर्मी के दिनों में जहां पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती थी, उस दौरान बिजली बिल 30 से 45 हजार रुपए महीने औसतन आता था, जबकि 22 अक्टूबर तक एक लाख रुपए से अधिक लग चुका है, जो कहीं न कहीं मीटर की गड़बड़ी को दर्शाता है।