Dustbin purchase scam: भोजपुर जिले के शाहपुर नगर पंचायत में संसाधन होते हुए भी कैसे उसकी बर्बादी की जा रही है, इसे साफ देखा जा सकता है।
- हाइलाइट्स: Dustbin purchase scam
- जनता की गाढ़ी कमाई को कूड़ेदान में लगाकर उसे कचरे में फेंक दिया जा रहा है: बबीता
- पहले लोहे के डस्टबिन फिर प्लास्टिक का डस्टबिन,अब स्टील के डस्टबिन में हुआ घपला: संतोष
आरा/शाहपुर: यूं तो अक्सर ही बिहार में सरकारी संसाधनों में अभाव देखने को मिलता है। लेकिन भोजपुर जिले के शाहपुर नगर पंचायत में संसाधन होते हुए भी कैसे उसकी बर्बादी की जा रही है, इसे साफ देखा जा सकता है। यहां नगर को स्वच्छ बनाने के लिए कचरा प्रबंधन के लिए आई डस्टबिन कबाड़ में तब्दील हो गई। बैगर यूज ये डस्टबिन कूड़े की शोभा बढ़ा रही है।
सरकारी राशि का बंदरबाट: बता दें कि वर्ष 2023 में लाखों की लागत से SHAKTI CORPORATION से 190 डस्टबिन ( Dust bin 2bin Mounted with 3 pole capacity 100 ltr) की खरीद रेवड़ियों की तर्ज पर की गई हैं। लेकिन यहां अधिकतर डस्टबिन कूड़ा उठाने के काम नहीं आता बल्कि ये खुद कूड़े में पड़ा है, ये सोच कर कि कोई इसे उठा ले और फिर से न्या खरीदारी नगर पंचायत शाहपुर के द्वारा किया जा सकें।
डस्टबिन खरीद के नाम पर बड़ा खेल : शाहपुर नगर पंचायत का पहला चुनाव 2007 में हुआ। इसके बाद से अब तक डस्टबिन खरीद के नाम पर शाहपुर नपं में बड़ा खेल होते रहा है। लाखों के लागत से खरीदे डस्टबिन सड़ने के लिए फेंके हुए हैं, बहुत सारे गायब हो गए, जो बचे है उसकी भी सुध लेने वाला कोई नहीं है। शाहपुर नगर पंचायत में विकास के नाम पर सरकारी राशि की लूट की खुली छूट का खेल चरम सीमा पर है। महज 2 साल के भीतर ही शक्ति कॉर्पोरेशन से खरीदे डस्टबिन खुद कचरे में तब्दील होकर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
पैसों की बर्बादी से लोगों में आक्रोश: इसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। उनका कहना है कि ये उनके टैक्स की बर्बादी हो रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि डस्टबिन सड़कों पर होना चाहिए ताकि कूड़ा डस्टबिन में डाला जा सके। लेकिन यह डस्टबिन खुद कूड़े में पड़ा हुआ है। लोगों ने बताया कि इस पर नगर पंचायत के किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है।
नगर पंचायत पर भ्रष्टाचार का आरोप: स्थानीय संतोष पांडे उर्फ मंजी बताते हैं कि शाहपुर नगर पंचायत भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रहा है। बताया कि 2007 के पहले चुनाव से ही यहांं डस्टबिन का खेल चल रहा है। उन्होंने नगर पंचायत के अधिकारियों पर सरकारी पैसे का बंदरबाट किए जाने का आरोप लगाता हुए बताया कि पहले लोहे के डस्टबिन फिर प्लास्टिक का डस्टबिन, फिर स्टील के डस्टबिन के बहाने निविदा होती रही और पैसों का घपला किया जाता रहा है।
पूर्व चेयरमैन सह पार्षद बबीता देवी ने कहा कि “ये पैसे का दुरुपयोग है। अभी नगर के वार्ड नं. 1 से 11 तक में जाकर देख लीजिए, कई वार्डों में डस्टबिन देखने को भी नहीं मिलेगा, शाहपुर नगर पंचायत भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई को कूड़ेदान में लगाकर उसे कचरे में फेंक दिया जा रहा है। पूर्व में घर-घर देने के लिए सूखा-गीला कचड़ा कलेक्शन हेतु जो प्लास्टिक का डस्टबिन (बाल्टी) क्या आम जनता को दी गई ?