Credit Politics: यह पूरा विवाद “श्रेय की राजनीति” का एक क्लासिक उदाहरण है। विधायक राहुल तिवारी, जो यह साबित करना चाहते हैं कि विकास उनकी वजह से हो रहा है। वहीं, विपक्षी नेता भूअर ओझा यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायक झूठे दावे कर रहे हैं।
- हाइलाइट्स: Credit Politics
- “झूठा तिवारी” और “झूठा ओझा” जैसे शब्दों का प्रयोग
- विधायक राहुल तिवारी और भाजपा नेता भूअर ओझा आमने-सामने
शाहपुर (भोजपुर)। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों का श्रेय लेने को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। मौजूदा राजद विधायक राहुल तिवारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भूअर ओझा के बीच जुबानी जंग अब खुले टकराव का रूप ले चुकी है। इस राजनीतिक खींचतान का केंद्र धमवल गांव में सड़क निर्माण, जवईनिया में बाढ़ से बचाव हेतु निर्माण कार्य समेत क्षेत्र में अन्य विकास योजनाएं बनी हुई हैं, जिसको लेकर दोनों पक्ष अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
मामले ने तूल तब पकड़ा जब भाजपा नेता भूअर ओझा ने विधायक राहुल तिवारी पर निशाना साधते हुए उन्हें “झूठा तिवारी” की संज्ञा दे डाली। ओझा ने आरोप लगाया कि विधायक उन कार्यों का श्रेय ले रहे हैं जो असल में पूर्व विधायक मुन्नी देवी (ओझा की पत्नी) की पहल पर या एनडीए सरकार की योजनाओं के तहत हो रहे हैं।
इस पर पलटवार करते हुए विधायक राहुल तिवारी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वे केवल उन्हीं विकास कार्यों का उल्लेख कर रहे हैं जो उनकी अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। तिवारी ने भूअर ओझा को “झूठा ओझा” न बनने की नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें जनता को गुमराह करने से बचना चाहिए।
श्रेय की राजनीति (Credit Politics): यह पूरा विवाद “श्रेय की राजनीति” का एक क्लासिक उदाहरण है। विधायक राहुल तिवारी, जो यह साबित करना चाहते हैं कि विकास उनकी वजह से हो रहा है। वहीं, विपक्षी नेता भूअर ओझा यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायक झूठे दावे कर रहे हैं।
व्यक्तिगत हमले और चुनावी रणनीति: “झूठा तिवारी” और “झूठा ओझा” जैसे शब्दों का प्रयोग जब तर्कों की कमी होती है या प्रतिद्वंद्विता तीव्र हो जाती है, तो बहस अक्सर व्यक्तिगत हो जाती है। इस तरह की बयानबाजी अक्सर आने वाले चुनावों की तैयारी का हिस्सा होती है। दोनों नेता अपनी-अपनी ज़मीन मजबूत करने और जनता के बीच अपनी छवि को “विकास पुरुष” के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
जनता का दृष्टिकोण: दोनों नेताओं के बीच इस बयानबाजी ने शाहपुर की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। विकास के दावों के बीच क्षेत्र की जनता असमंजस में है। आम जनता के लिए यह स्थिति भ्रम पैदा करती है। उन्हें यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा नेता सच बोल रहा है। हलाकी, विकास कार्य सरकारी प्रक्रियाओं का हिस्सा होते हैं, जिसमें स्थानीय विधायक, सांसद और राज्य/केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का मिला-जुला योगदान होता है।