राकेश गोस्वामी हत्याकांड का खुलासाः
बहन के साथ देख कातिल बन गया दोस्त, गुस्से में दाब से कर दी थी हत्या
हत्या में इस्तेमाल लोहे का दाब व मृत युवक के 23 हजार रुपये बरामद
धोबहां ओपी क्षेत्र के कड़रा मठ के समीप 15 जुलाई की रात हुई थी हत्या
हत्या से एक दिन पहले ही दीपू ने बंद कर दिया था मोबाइल, फिर भी नहीं बच सका
पढ़िए हत्या से जुडी इनसाइड स्टोरी विस्तार से
आरा। भोजपुर जिले के धोबहां ओपी क्षेत्र के भदेया गांव निवासी राकेश गोस्वामी की प्रेम प्रसंग में हत्या कर दी गयी। उसका जिगरी दोस्त ही कातिल बन गया। बहन के साथ गलत संबंध देख दोस्त ने धारदार हथियार से राकेश को मौत के घाट उतार दिया। भदेया गांव निवासी दीपू कुमार यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया। दीपू ने हत्या की बात भी कबूल कर ली है। दीपू की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल लोहे का दाब और मृत राकेश के गायब 23 हजार रुपये भी बरामद कर लिये गये हैं। हालांकि राकेश का मोबाइल नहीं मिल सका है।
एसपी सुशील कुमार ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 15 जुलाई की देर रात धोबहां ओपी के कड़रा बसंतपुर मठ के समीप राकेश गोस्वामी नामक युवक की हत्या कर दी गयी थी। यह केस पूरी तरह ब्लाइंड था। इसे गंभीरता लेते हुये सदर एसडीपीओ अजय कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। टीम मोबाइल सर्विलांस के साथ कुछ अन्य तरिके से जांच कर रही थी। इसी क्रम में संदेह के आधार पर राकेश के दोस्त दीपू कुमार यादव सहित अन्य को हिरासत में लिया गया। दीपू ने पूछताछ में हत्या की बात स्वीकार कर ली।
एसपी ने बताया कि दीपू कुमार यादव और राकेश गोस्वामी दोस्त थे। दोनों का एक-दूसरे के घर आना-जाना भी थी। इसी क्रम में राकेश व दीपू की बहन के बीच प्रेम हो गया। एक दिन दीपू ने दोनों को साथ में देख लिया। इससे गुस्से में आकर उसने प्लानिंग के तहत बाजार गये राकेश को रास्ते में घेरकर धारदार हथियार (लोहे के दाब) से हत्या कर दी। उसके बाद उसने राकेश मोबाइल व 23 हजार रुपये भी गायब कर दिया। हत्या का खुलासा करने वाली टीम में मुफस्सिल सर्किल इंस्पेक्टर शशि शेखर, धोबहां ओपी इंचार्ज लक्ष्मी पटेल, डीआईयू के दारोगा प्रशांत कुमार, राकेश कुमार, धोबहां ओपी के एएसआई जीतेंद्र कुमार शामिल थे।
मोबाइल के सहारे राकेश के दोस्त दीपू तक पहुंच गयी पुलिस
आरा। भदेया गांव निवासी राकेश गोस्वामी की हत्या के बाद उसका मोबाइल भी गायब कर दिया गया था। उसके बाद से ही पुलिस मोबाइल के सहारे कातिल तक पहुंचने में लगी थी। एसपी के निर्देश पर टीम ने राकेश के मोबाइल की सीडीआर खंगाली। इस क्रम में अंतिम कॉल की जांच की गयी।
एसपी ने बताया कि राकेश ने अंतिम बार अपने एक दोस्त से बात की थी। उसी ने दीपू यादव का नाम बताया था। एसपी ने बताया कि राकेश 15 जुलाई की रात जब बाजार से घर लौट रहा था। तभी दीपू यादव ने उसे रास्ते में घेर लिया। इसकी सूचना राकेश ने अपने एक मित्र को मोबाइल से दी थी। उसने दोस्त से कहा था कि दीपू ने उसे घेर लिया है। उस आधार पर पुलिस उस तक पहुंची और पूछताछ की तो दीपू का नाम आया। उसके बाद दीपू यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने सारा राज खोल दिया।
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हत्या से एक दिन पहले ही दीपू ने बंद कर दिया था मोबाइल, फिर भी नहीं बच सका
आरा। भदेया गांव निवासी व राकेश के दोस्त दीपू यादव ने बचने के लिये कई तरह की तरकीब अपनायी थी। इसके बावजूद वह पुलिस की जाल में फंस गया। पुलिस के अनुसार दीपू ने एक प्लानिंग के तहत हत्या की घटना को अंजाम दिया है। उसने हत्या से एक दिन पहले ही अपना मोबाइल बंद कर लिया था। ताकि घटना के समय उसके मोबाइल का ट्रेस नहीं मिल सके। वहीं हत्या के बाद वह राकेश के परिजनों से काफी घूल मिल गया था। ताकि उस पर कोई शक नहीं कर सके।
बताया जाता है कि हत्या के बाद वह राकेश मृतक की बुआ को लाने के लिये भी गया था। इसके बावजुद वह पुलिस से नहीं बच सका। बता दें कि हत्या के बाद जांच में जुटी पुलिस ने दीपू यादव सहित आधा दर्जन लोगों को हिरासत में पूछताछ शुरू की थी। शुक्रवार की रात एसपी सुशील कुमार ने भी कड़ी पूछताछ की। उसके बाद हत्या का राज खुल गया।
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सूरत में काम करता था दीपू, लॉकडाउन में आय था गांव
आरा। जानकारी के अनुसार दीपू यादव सूरत में काम करता था। कोरोना व लॉकडाउन के कारण वह घर चला आया था। गांव आने के बाद वह कातिल बन गया। पुलिस के अनुसार दीपू की बहन और राकेश के बीच पहले से ही प्रेम संबंध था। गांव आने के बाद उसने राकेश को अपनी बहन के साथ देख लिया था। उसके बाद ही उसने राकेश को रास्ते से हटाने की साजिश रची और उसकी हत्या कर दी।
बता दें कि 15 जुलाई की रात भदेया गांव निवासी राकेश गोस्वामी की आरा से घर लौटते समय बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी। उसे लेकर अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।