Friday, May 9, 2025
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आयुर्वेद, पर्यावरण व विज्ञान से जोड़ता है अक्षयनवमी का पर्व

  • मानव शरीर को आरोग्य प्रदान करता है आँवला, आँवला में एंटीबायोटिक्स वालो गुण

खबरे आपकी दिलीप ओझा शाहपुर: Akshaya Navami Festival 2022 अक्षयनवमी का पर्व लोगों को सीधे पर्यावरण, प्राकृति, आयुर्वेद व विज्ञान से जोड़ता है। सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के शुरू होते ही कृष्ण पक्ष के पहली तिथि से लोग सुबह के स्नान कर आँवला के वृक्ष में जल अर्पित करते है। जल अर्पित करने के बाद कार्तिक मास के ही शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को विधान पूर्वक आँवला के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के पश्चात गुप्त दान दिया जाता है। गुप्त दान भूमि के नीचे दान सामग्री को ढक कर दिया जाता है या ऋतु फल भतुआ में छेद करके उसमें डाल दिया जाता है।

Akshaya Navami Festival 2022: आँवले के पेड़ के नीचे भोजन का महत्व व महातम

Akshaya Navami Festival 2022

धार्मिक ग्रंथों में गुप्त दान का अपना अलग ही महत्व व महातम है। साथ ही आँवले के पेड़ के नीचे ही परिवार के साथ भगवान विष्णु की कथा श्रवण के बाद भोजन बनाकर भोग लगाने के बाद ग्रहण करने की विधि-विधान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार आँवले के वृक्ष में भगवान विष्णु वास करते हैं। आयुर्वेद व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो आँवला को संजीविनी की भी संज्ञा दी गई है। क्योंकि आँवले में विटामिन सी के साथ खनिज लवण की प्रचुर मात्रा समाहित होती है। जिसके कारण आँवला एंटीबायोटिक की तरह कई रोगों के लिए फायदेमंद होता है।

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चरक संहिता के अनुसार आँवला में माता के समान रक्षक बताया गया है।आँवले को आयुर्वेद में आरोग्य प्रदान करने वाला फल भी बताया गया है। वैसे भी मानव शरीर को ठंड के समय संतुलित बनाएं रखने के लिए विटामिन सी के साथ ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने के लिए खनिज लवण चाहिए वह आँवला में प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है। इसके साथ ही भतूआ के फल में भी विटामिन सी की मात्रा काफी होती है। जिसे हम सब्जी या फिर रायता बनाकर सेवन करते है। आँवले का च्यवनप्राश व ब्रह्मरसायन बनता है। भतुआ का मुरब्बा, भतुआपाग या फिर पेठा के रूप में भी प्रचलित है, जो शीत ऋतु में ही सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है।

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