Arrah identity – समय के साथ बढ़ा जाम का दायरा, आरा से निकल दूसरे इलाकों तक पहुंचा
पुलिस-प्रशासन के प्रयास के बावजूद नहीं मिल रही आशातीत सफलता
आरा। ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भोजपुर के जिला मुख्यालय आरा शहर की पहचान (Arrah identity) बदलती जा रही है। ऐतिहासिक महत्व वाले इस शहर की पहचान अब टूटी सड़कें और जाम बनती जा रही है। कहा जाता है कि कभी इसी आरा में भगवान राम के गुरु विश्वामित्र का आश्रम हुआ करता था। इशा पूर्व सातवीं सदी में प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग भी आरा से कुछ दूरी पर स्थित मसाढ़ आये थे। लेकिन जाम के कारण आज इसी आरा शहर में आने के पहले लोगों को सोचना पड़ रहा है।
Arrah identity एक तो टूटी-फूटी व पानी भरी सड़कें और ऊपर से भीषण जाम। इससे शहर की सूरत तो बिगड़ ही जा रही है। शहरवासियों के साथ-साथ दूसरे जगह से आने वाले लोग भी परेशान हो जा रहे हैं। मामूली और महज एक घंटे के लिये आरा आने वाले लोगों का पूरा दिन जाया हो जाता है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन द्वारा जाम से निजात की कवायद नहीं की जाती है। प्रशासन द्वारा कई उपाय किये गये। नये-नये कई तरीके इजाद किये गये। वनवे और नो इंट्री की व्यवस्या भी शुरू की गयी। लेकिन कोई खास फायदा नहीं है। यानी मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की। वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
वाहनों की बढ़ती संख्याओं के बीच बालू ढुलाई की इंट्री से बिगड़ा खेल
अब तो जाम का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। Arrah identity आरा शहर से निकल कर जाम का दायरा उदवंतनगर के तेतरियां, पियनियां और बेहरा के साथ कायमनगर व कोईरवर होते आरा-छपरा बाईपास तक पहुंच गया है। इस सबके पीछे वाहनों की बढ़ती संख्या, लोगों की भीड़ और सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ना और पार्किंग नहीं होना बताया जा रहा है। दूसरी ओर बालू ढुलाई से भी जाम का रूप भयंकर होता जा रहा है।
बता दें कि शहर सहित पूरे जिले में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। लेकिन सड़कों की स्थिति ज्यों की त्यों बनी है। बाकी के कसर सड़क किनारे बेतरतीब
खड़े वाहन और फुटपाथ पर कब्जा करने से पूरी हो जा रही है।
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