Jeeyar Swamy: करजा गांव में रविवार को प्रवचन करते हुए पूज्य संत जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा सुख भोगने के लालच में अगर किसी साथी या व्यक्ति के साथ विश्वासघात किया जाए तो बहुत बड़ा दोष लगता है।
- हाइलाइट : Jeeyar Swamy
- धन के लालच में विश्वासघात नहीं करना चाहिए : जीयर स्वामी
आरा/शाहपुर: भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत करजा गांव में रविवार को प्रवचन करते हुए जीयर स्वामी ने कहा कि धन के लालच में किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए। हो सकता है थोड़े से धन में काम चलाना पड़े या थोड़ी सी परेशानी उठानी पड़े, लेकिन सुख भोगने के लालच में अगर किसी साथी या व्यक्ति के साथ विश्वासघात किया जाए तो बहुत बड़ा दोष लगता है।
उन्होंने प्रवचन के दौरान स्थानिय बोलचाल की भाषा व साधारण शब्दों में स्पष्ट किया कि धन की लालच में किसी भी व्यक्ति के साथ विश्वासघात करना अत्यंत अनुचित और अमानवीय है, इसका बहुत बड़ा दोष लगता है। यह सच है कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में आर्थिक सफलता और संपत्ति अर्जित करने की चाह में कई लोग पाप,पुण्य को भूल जाते हैं।
स्वामी जी ने बताया कि भले ही कुछ समय के लिए हमें थोड़े बहुत धन के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़े, लेकिन किसी साथी या प्रिय व्यक्ति के विश्वास को तोड़ना अत्यंत गंभीर अपराध है। विश्वास, एक ऐसा तत्व है, जो सामाजिक रिश्तों को मजबूत बनाता है। जब हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए दूसरों का विश्वास तोड़ते हैं, तो इसके दूरगामी परिणाम होते हैं, न कि केवल आर्थिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी।
पूज्य संत जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि संतोष और नैतिकता से बढ़कर कोई भी धन नहीं है। एक व्यक्ति को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि धन से अधिक महत्वपूर्ण है दूसरों के साथ आपसी विश्वास और संबंधों का निर्वाह करना। इसलिए, हमें धन की खोज में नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए। सच्चा सुख उस विश्वास और नैतिकता में ही निहित है, जो हम दूसरों के साथ निभाते हैं।
Jeeyar Swamy : भगवान की कृपा होने पर पति-पत्नी में मधुरता रहती है
स्वामी जी ने यह भी कहा कि भागवत कथा अनुष्ठान पूर्वक सुनने पर कल्याण होता है। कथा सुनने के समय सांसारिकता से अलग एकाग्रचित्त होने पर फल प्राप्ति होती है। भगवान की कृपा होने पर पति-पत्नी में मधुरता रहती है। यदि पत्नी कर्कशा हो और घर में बच्चों की किलकारी भी नहीं हो, तो सुख-शांति नहीं रहती।
उन्होंने कहा कि जो पाप दुराग्रह के साथ हो, वह महापाप है। ब्राह्मण, गाय, परिजन और महापुरुष की हत्या और विश्वासी के साथ विश्वासघात करना महापाप की श्रेणी में आता है। शराब पीने, जुआ खेलने, हत्या करने और न्यायालय में मुकदमा लड़ने वाले की संपत्ति प्रायः नष्ट हो जाती है। ऐसे लोगों के प्रति किसी का दयाभाव नहीं होता।