Sunday, December 22, 2024
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गांव पर छठ पूजा की आस्था और सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा

छठ के अवसर पर गांव की महिलाएं मधुर गीत गा रही होती हैं, जो अपनों के नामों से भरे होते हैं। यह गीत केवल संगीत नहीं होते, बल्कि ये आत्मीयता और प्यार की भावनाओं को प्रकट करते हैं।

Chhath Puja faith: छठ के अवसर पर गांव की महिलाएं मधुर गीत गा रही होती हैं, जो अपनों के नामों से भरे होते हैं। यह गीत केवल संगीत नहीं होते, बल्कि ये आत्मीयता और प्यार की भावनाओं को प्रकट करते हैं।

  • हाइलाइट : Chhath Puja faith
    • छठ के मधुर गीत हर किसी को अपने घर वापस लाने के लिए प्रेरित करती है।

Chhath Puja faith आरा/शाहपुर: गांव पर छठ पूजा करने की ऐसी आस्था की अपनी वाहन से हजारों मील की सफर कर गांवों में पहुंच रहे हैं लोग। लोग बताते हैं कि शहरों में जब छठ के गीत गूंजने लगते हैं तो बरबस ही गांव की यादें ताजा हो जाती है और गांव पर छठ करने की मंशा अपने आप हिलोरे मारने लगती हैं। तब गांव के आगे कुछ नही दिखता। कैसे भी करके घर पहुंचे बस यही सूझता है।

अपना गांव, अपने लोग व आस्था से इतना लगाव की इसकी अदृश्य शक्ति गांव में अपनों के बीच छठ व्रत की डोर यहां तक खींच लाती हैं। छठ में महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले मधुर गीत और उनमें अपनो के नाम सुनकर मन जो खुशी मिलती हैं वो दूसरे स्थान पर मिल ही नही सकती है। शायद यही कारण है कि गांव पहुंचने की ऐसी जुनून की ट्रेन व प्लेन की टिकट नहीं मिली तो सैकड़ो किलोमीटर दूर के शहरों से सपरिवार छठ पूजा के लिए अपने साधन यानी वाहन से गांव तक कुछ लोग पहुंच चुके हैं। कुछ रास्ते मे हैं।

हरियाणा के गुरुग्राम से महुआंव गांव निवासी गुलशन कुमार उर्फ गोलू कार अपने चलाकर गांव पहुंचे। नई दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले बिलौटी गांव के जितेंद्र कुमार त्रिपाठी को ट्रेन व प्लेन की टिकट बिचौलियों से भी नही मिल सकी। इधर गांव पर छठ पूजा करने की छटपटाहट के बीच निर्णय लिया और अपनी ही कार से निकल पड़े।

वही, सोनवर्षा गांव के रामेश्वर मिश्र मुंबई में रहते हैं। बस से पूना तक आए वहां से दूसरा बस लेकर इटारसी पहुंचे। इसी तरह गाड़ी बदलते हुए गांव पहुंचे। छठ गांव पर ही अपनो के बीच समूह में करते रहे हैं। तकरीबन इसी तरह से प्रखंड के विभिन्न गांवों में हजारों की संख्या में लोग लोक आस्था का महापर्व छठ करने के लिए गांव में आ चुके हैं।

आस्था के प्रति गहरे जुड़ाव: जब छठ के गीत गूंजते हैं, तो शहरों में बसे लोग अपने गांवों की यादों में खो जाते हैं। उन्हें यह अनुभव होता है कि गांव में छठ पूजा के दौरान होने वाले धार्मिक अनुष्ठान और पारिवारिक जीवंतता का कोई विकल्प नहीं है। इसी अभिलाषा के कारण, लोग टिकट न मिलने पर भी, सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।

गांव पहुँचने पर, वहाँ की महिलाएं मधुर गीत गा रही होती हैं, जो अपनों के नामों से भरे होते हैं। यह गीत केवल संगीत नहीं होते, बल्कि ये आत्मीयता और प्यार की भावनाओं को प्रकट करते हैं। इस प्रकार के अनुभव की तुलना किसी अन्य स्थान पर नहीं की जा सकती। छठ पूजा के लिए लोग गांव की यात्रा करते हैं, क्योंकि गांव का माहौल, परिजनों का साथ और उस माहौल में छठ पूजा का करना, सभी कुछ अनमोल होता है।

इस महापर्व पर गांव में आस्था का उत्सव देखते ही बनता है। यह एक ऐसी अदृश्य शक्ति है, जो शहरों से गांवों की ओर लोगों को खींच लाती है। निश्चित ही, यह आस्था, परिवार और संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है, छठ के मधुर गीत हर किसी को अपने घर वापस लाने के लिए प्रेरित करती है।

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