Dussehra Ara-आरा में चार सौ साल के इतिहास में पहली बार नहीं होगा रावण का वध
दुर्गा पूजा को लेकर गृह विभाग और जिला प्रशासन का जारी हुआ गाइडलाइन
आरा। (कृष्ण कुमार) Dussehra Ara बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक विजयादशमी (दशहरा) के मौके पर रावण का पुतला नहीं जलेगा। इस बार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीला भी नहीं होगी। जी, हां। यह कोरोना की काली छाया और विधानसभा चुनाव का साइड इफेक्ट है। इस सिलसिले में सरकार के गृह विभाग और भोजपुर जिला प्रशासन द्वारा दुर्गा पूजा को लेकर गाइडलाइन जारी कर दिया गया है। आरा के रामलीला के चार सौ साल के इतिहास में पहली बार रावण वध का आयोजन नहीं होगा। हर दशहरा (Dussehra Ara) 18 दिनों तक चलने वाली रामलीला और रावण वध शहर का एक प्रमुख आयोजन रहा हैं। इसमें हजारों की भीड़ जुटती थी। ऐसे में इस बार आरा का दशहरा काफी फीका-फीका रहेगा। इससे आम लोगों के साथ रामलीला कमिटी भी मायूस दिख रही है।
कोरोना वायरस और विधानसभा चुनाव का साइड इफेक्ट
जिला प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार इस बार कोरोना और चुनाव को देखते हुये सार्वजिनक जगहों पर रावण वध का आयोजन नहीं किया जायेगा। इस बार सार्वजनिक स्थल के बदले मंदिरों व घरों में ही मां दुर्गा की पूजा और आराधना करनी होगी। मंदिरों में किसी विशेष विषय पर पंडाल का निर्माण नहीं किया जायेगा। तोरणद्वार व स्वागत द्वार भी नहीं बनाये जायेंगे। उद्घोषणा की व्यवस्था नहीं होगी। जिला प्रशासन किसी भी स्थिति में विसर्जन जुलूस की अनुमति नहीं देगा। अगर किसी मंदिर में प्रतिमा स्थापित की गयी है, तो प्रशासन के निर्देश के अनुसार चिन्हित जगहों पर ही मर्तियों को विजयादशमी के दिन ही विसर्जित करना होगा।
Dussehra Ara – ना लगेगा दशहरा का मेला और ना खाने को मिलेगा जलेबी और चाट
आरा। दशहरा के चार दिवसीय मेले में सप्तमी,अष्टमी, नवमी एवं दश्मी तिथि को मेला में लोगो की भारी भीड उमडती थी। दशहरा का मेला बच्चों का सबसे खास त्योहार होता है। बच्चे काफी दिनों से इसका इंतजार करते हैं। मेले में बच्चों की पसंद की हर चीज मिलती है। खिलौने से लेकर खाने-पीने तक का सामान भी मिलता है। लेकिन इस बार बच्चे भी मन मसोस कर रह जायेंगे। क्योंकि इस बार दशहरा का मेला भी नहीं लगेगा। और ना ही खिलौने, जलेबी व चाट की दुकानें ही सजेगी। इतना ही नहीं इस बार प्रसाद का वितरण भी नहीं होगा। इस कारण मेले में दुकान लगाने वालों को भी काफी घाटा उठाना पड़ेगा। बता दें कि मेले में छोटे-छोटे फुटपाथी दुकानदारों की अच्छी कमाई हो जाती थी।
आरा में चार सौ सालों से चली आ रही रावण वध की परंपरा
आरा शहर में रावण वध और रामलीला का आयोजन काफी धूमधाम से किया जाता रहा है। यह परंपरा करीब चार सौ सालों से चली आ रही है। लेकिन कोरोना की मार ने इस बार इस परंपरा पर ब्रेक लगा दिया है। नगर रामलीला समिति के अध्यक्ष प्रेम पंकज उर्फ ललन जी ने बताया आरा में विगत चार सौ सालों से नगर रामलीला समिति के तत्वाधान में रामलीला का मंचन होते आ रहा है। लेकिन वर्ष 2020 के कोरोना काल में यह पहला मौका है, जब ना तो रामलीला का मंचन होगा और ना ही रावण वध का आयोजन होगा। उन्होंने बताया कि (Dussehra Ara) रामलीला को लेकर 18 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। उसके तहत एकम तिथि से 2 दिन पहले शोभायात्रा निकाली जाती थी। उसी दिन झंडोत्तोलन होता था। एकम तिथि से रामलीला का मंचन होता था। दशमी के दिन नगर रामलीला समिति के मैदान में रावण का पुतला दहन किया जाता था। उसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी रहती थी। दसवीं के 7 दिन बाद श्री पंचमी के दिन भरत मिलाप का भव्य आयोजन होता था। उसमें शहर के विभिन्न मोहल्लों से झांकियां निकाली जाती थी। भरत मिलाप के दूसरे दिन राम राजगद्दी का कार्यक्रम होता था। उसी दिन भव्य देवी जागरण का आयोजन किया जाता था। जिसमें दूरदराज से गायक व कलाकार आते थे।
Ara Dussehra – Ravana will not be killed for the first time
अध्यक्ष बोले: भगवान राम के फोटो की होगी पूजा और की जायेगी आरती
आरा। नगर रामलीला समिति के अध्यक्ष प्रेम पंकज उर्फ ललन ने बताया कि रावण वध के कार्यक्रम को लेकर समिति के सदस्यों के साथ डीएम से मुलाकात की गई। लेकिन डीएम ने गृह मंत्रालय के आदेश का हवाला देते हुए रावण वध कार्यक्रम का आयोजन रद्द करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में रावण वध का कार्यक्रम नहीं होगा। पुतला नहीं जलाया जाएगा। प्रेम पंकज ने बताया कि (Dussehra Ara) समिति के लोग झंडोत्तोलन के दिन पूजा-अर्चना करेंगे। इसके अलावे प्रतिदिन दिन भगवान राम के फोटो की पूजा और आरती होगी।
होली के बाद सभी त्योहारों पर पड़ी कोराना की काली छाया
आरा। कोरोना महामारी की काली छाया सभी त्योहारों पर पड़ी है। इस महामारी का प्रकोप अब भी जारी है। बता दें कि होली के बाद मार्च में इस वायरस जनित इस माहामारी का कहर शुरू हुआ, जो अब तक चल रहा है। इस कारण मुसलमान भाइयों की शब्बे बारात, रमजान, बकरीद और मुहर्रम के अलावे हिन्दु धर्म के मुख्य त्योहार रामनवमी, रक्षाबंधन, अनंत चतुर्दशी, और अब दशहरा भी फीकी हो गयी। यही हाल रहा, तो दीपावली और छठ पर भी असर पड़ सकता है। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि कोरोना वायरस इस बार नदी, तालाब एवं पोखर के घाटों पर भगवान भास्कर को अर्घ्य नहीं दिया जाएगा, बल्कि लोगों को घर के छत ऊपर ही अर्ध्य देने के लिए गाइडलाइन जारी हो सकता है।
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