Faith of Hindu-Muslims of Shahpur: कौमी एकता की मिसाल शाह लक्कड़ बाबा का मज़ार, लखिनाथ बाबा की छोटी मठिया, बृंदावन बाबा की बड़ी मठिया ये तीनों धर्मस्थल शाहपुर को एकता के सूत्र में बांधे हुए है, यहां पूर्व की परंपरा के अनुसार आज भी पूजा और इबादत होती है।
- हाइलाइट :- Faith of Hindu-Muslims of Shahpur
- जिस बाग में तरह-तरह के फूल हों, उसकी खूबसूरती अद्भुत होती है- बिजय सिंह
- धार्मिक विभेद की बात करना अपूर्ण ज्ञान का द्योतक है – संजय चतुर्वेदी
- मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म- कमेश्वर
आरा/शाहपुर: देश में चुनावी खबरों के बीच कुछ ऐसी भी कहानियां हैं, जो हमें धार्मिक सद्भाल और प्रेम का संदेश दे रही हैं। इस तरह की एक कहानी बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर की है। यहां खुशहाली और भाईचारे की फरियाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक साथ मिलकर करते है, और यह परंपरा वर्षों पूर्व से चली आ रही है। दरअसल, शाहपुर नगर पंचायत में शाह लक्कड़ बाबा का मज़ार, लखिनाथ बाबा की छोटी मठिया, बृंदावन बाबा की बड़ी मठिया ये तीनों धर्मस्थल शाहपुर को एकता के सूत्र में बांधे हुए है। यहां पूर्व की परंपरा के अनुसार आज भी पूजा और इबादत होती है। ये तीनों धर्मस्थल कौमी एकता की मिसाल है। यहां पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग श्रद्धा से सिर झुकाते हैं। पूजा और इबादत के मामले में शाहपुर नगर पंचायत हिन्दू-मुस्लिम एकता की पहचान बना हुआ है।
क्या कहते है यहां के पूर्व मुख्यपार्षद बिजय कुमार सिंह
नगर पंचायत शाहपुर के पूर्व मुख्यपार्षद बिजय कुमार सिंह ने कहा की अनेकता में एकता हमारे देश भारत की विशेषता है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि जिस बाग में तरह-तरह के फूल हों, उसकी खूबसूरती अद्भुत होती है। हमारे नगर के पूर्वजों ने धार्मिक सद्भाल और प्रेम रूपी बाग के रूप में इन तीन धर्मस्थलों की सौगात शाहपुर को दी है। यही धार्मिक एकता, सद्भाव हमारी विशेषता है, जिसके बूते हम कहते हैं ‘ हमें अपनी शाहपुर की संस्कृति पर गर्व है।’
धार्मिक विभेद की बात करना अपूर्ण ज्ञान का द्योतक है – संजय चतुर्वेदी
वार्ड पार्षद संजय चतुर्वेदी ने कहा कि सभी धर्मो ने अच्छाई को अपनाने व बुराई का त्याग करने की नसीहत दी है। सभी धर्म में सत्य, दया, अहिंसा, ईमानदारी, प्रेम, शांति व सहयोग की बात कही गई है। अत: धार्मिक विभेद की बात करना अपूर्ण ज्ञान का द्योतक है। हम धर्म को पूर्णता से समझेंगे तो फिर कोई संदेह हमारे मन में नहीं रहेगा। इसके अलावा हमें अपनी धार्मिक सीमा को भी समझना होगा। हमें इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि हमारे कार्य से किसी की धार्मिक भावना को ठेस न लगे।
मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म- कमेश्वर
वही वार्ड पार्षद कमेश्वर कुमार ने कहा की वर्तमान में मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है, जो देश की एकता एवं अखंडता के लिए बहुत जरूरी है। हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए।’ शाह लक्कड़ बाबा का मज़ार, लखिनाथ बाबा की छोटी मठिया, बृंदावन बाबा की बड़ी मठिया ये तीनों धर्मस्थल हमारी धार्मिक एकता के मिशाल है। जिन पर हमें गर्व है।