Thursday, April 25, 2024
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सांप्रदायिक एकता के प्रतिक है मखदुम साहब की मजार

Makhdum Saheb Bihiya – उर्स के तीसरे दिन मजार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़

तीन दिवसीय उर्स में पहुंचे कई राज्यों के श्रद्धालु

मुस्लिम व हिन्दु सम्प्रदाय के लोगों ने मजार पर की चादरपोशी

Makhdum Saheb Bihiya बिहिया। जितेन्द्र कुमार भोजपुर जिले के बिहिया प्रखण्ड मुख्यालय स्थित मखदुम साहब के मजार पर लगे तीन दिवसीय उर्स के तीसरे दिन शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।उर्स के दौरान बाबा के मजार पर चादरपोशी व मन्नतें मांगने को लेकर बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, उतर प्रदेश समेत अन्य जगहों से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और लोगों में मजार पर माथा टेक कर अपने परिवार की सलामती की दुआ मांगने तथा चादरपोशी करने की होड़ मची रही। मेले में बाबा के मजार पर चढ़ाये जाने वाले प्रसाद समेत अनेक दुकानें सजी हुई हैं। अनगिनत अस्थायी दुकानों व भिन्न-भिन्न प्रकार के झूला लगाये जाने के कारण हर ओर रौनक नजर आ रही है। कमिटी से जुड़े मदारू शाह, मो. आबिद अंसारी, मो. इलियास, मो. मुन्ना व मो. महाउद्दीन ने बताया कि शनिवार को हिन्दु व मस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लगभग 30 हजार से भी अधिक लोगों ने मखदूम साहब के मजार पर माथा टेका और मन्नतें मांगी।

  • भौतिक बाधा से मुक्ति के लिए लगी रही होड़

Makhdum Saheb Bihiya मखदूम साहब के मजार पर भौतिक बाधा से मुक्ति के लिए पुरूषों व महिलाओं में होड़ लगी रही। पुरूष मजार स्थल के पास रखे भारी भरकम पत्थर को जहां उठाकर अपने को भौतिक बाधा से मुक्त मान रहे थे, वहीं महिलाएं भी मजार स्थल के समीप विभिन्न विधियों से खुद को भौतिक बाधा से मुक्ति दिलाने के लिए प्रयासरत देखी गयीं। ऐसी मान्यता है कि मखदूम साहब के मजार पर आने वाले श्रद्धालुओं को भौतिक बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।

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  • मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस बल की तैनाती

सुरक्षा कारणों को लेकर Makhdum Saheb Bihiya मजार स्थल के पास पुलिस बल की तैनाती की गयी है।मालूम हो कि पूर्व में असामाजिक तत्वों के कारण मजार स्थल के आसपास व मेला में मारपीट व महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं घटित होते रहती थी, जिसके बाद कमिटी की मांग पर मजार स्थल पर मजिस्ट्रेट व पुलिस की तैनाती की गयी है तथा प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पेयजल भी मुहैया कराया गया है।

  • तीसरे दिन मेले में होगा दममदार आयोजन

Makhdum Saheb Bihiya उर्स के तीसरे और आखिरी दिन शनिवार की रात में मजार स्थल पर दम-मदार का आयोजन किया जायेगा जिसमें आग के जलते हुये कुंड में सांईं कूदते हैं। कुंड से आग के बुझे हुये राख को लेने के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है. बताया जाता है कि उक्त राख को शरीर पर लगाने से भौतिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
रोचक है मखदूम साहब की जीवनी मखदूम साहब की मजार पर प्रतिवर्ष लगने वाले उर्स के पीछे एक दिलचस्प किवदंती प्रसिद्ध है।

  • कैसे चुल्हाई यादव हजरत का खादिम बन गया और बगल में हीं चुल्हाई खादिम का भी है मजार

13 जिलों के एसपी समेत 38 आइपीएस अधिकारियों का तबादला

Makhdum Saheb Bihiya जानकारों के अनुसार मखदूम साहब का पूरा नाम हजरत शेख सरफुदीन शाह अहिया मनेरी है जो कि 771 हिजरी में बिहिया के जंगलों में आये और इबादत करने लगे। वे लगातार 14 वर्षां तक इबादत किये और दिनी इल्म से लवरेज हुए। यहां की इबादत से वे मखदूम शेख सरफूदीन शाह अहिया मनेरी के नाम से मशहूर हुए। बिहिया के जंगलों में इबादत के दिनों में चुल्हाई यादव नामक एक चरवाहा वहां आया करता था। एक दिन चुल्हाई यादव को हजरत साहब ने उसके गाय से दुध निकालने को कहा तो चरवाहा ने कहा कि गाय अभी दुध देने वाली नहीं है। हजरत ने उससे पुनः दुध दुहने का अनुरोध किया। इस पर चरवाहे ने झूंझलाते हुए दुध दुहना शुरू किया और बाछियों से दुध निकलना शुरू हो गया। तब से चुल्हाई यादव हजरत का खादिम बन गया। इसी जगह पर हजरत साहब का मजार भी बना है और बगल में हीं चुल्हाई खादिम का भी मजार स्थित है।

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