Ranjit Singh Gwala: रंजीत ग्वाला उर्फ रणजीत सिंह अहीर का जन्म शाहबाद जिला (वर्तमान भोजपुर) के बिहिया परगना,शाहपुर में एक यादव परिवार में हुआ था।
- हाइलाइट : Ranjit Singh Gwala
- महासंग्राम 1857 के नायक: भोजपुरी माटी के लाल रंजीत अहीर के खौफ से कांपते थे अंग्रेज अधिकारी
आरा: रंजीत ग्वाला उर्फ रणजीत सिंह अहीर का जन्म शाहबाद जिला (वर्तमान भोजपुर) के बिहिया परगना, शाहपुर में एक यादव परिवार में हुआ था, वो बंगाल नेटिव इन्फेंट्री रेजिमेंट के 40वी कंपनी में थे, जो दानापुर में तैनात थी। 1857 के क्रांति का जब बिगुल बजाते रणजीत अहीर ने 25 जुलाई को दानापुर (पटना) में बगावत छेड़ दिया।
उन्होंने अपने साथियों के संग मिलकर कई अंग्रेजी सैनिकों को मार दिया और दानापुर से हथियार एवं सरकारी खजाना लूट शाहाबाद जिला के लिए निकल पड़े। उनके साथ लगभग 2000 बाघी सिपाही थे। कोइलवर पुल पर कब्जा कर 26 जुलाई को आरा पहुंचे बागी सिपाहियों ने कई अंग्रेजी अधिकारियों को बंदी बनाकर आरा शहर पर कब्जा कर लिया।
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रणजीत सिंह अहीर जगदीशपुर के जमींदार कुंवर सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आगे बढ़कर पूरी बहादुरी से लड़े। आरा पर कब्जा 27 जुलाई से 3 अगस्त तक रहा। भोजपुरी माटी के लाल रंजीत अहीर के खौफ से कांपते थे अंग्रेज अधिकारी। रणजीत अहीर की बहादुरी देख कुंवर सिंह ने उन्हें विद्रोही सिपाहियों के बैरकपुर डिवीज़न का प्रमुख सेनापति बना दिया। प्रमुख सेनापति रणजीत अहीर बाबू कुंवर सिंह व अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर लगभग 1 साल तक अंग्रेजों से उत्तर भारत के अलग अलग जगहों पर लड़ते रहे।
जगदीशपुर युद्ध के बाद अक्टूबर 1859 में अंग्रेजों ने धोखे से घायल वीर रणजीत सिंह अहीर को गिरफ्तार कर लिया, एक सिख सवार ने उन्हें फांसी से बचा लिया परंतु फिरंगी अदालत ने उन्हें काला पानी का सजा दिया। प्रथम स्वतंत्रता विद्रोह (1857) में अहम भूमिका निभाने वाले भोजपुरिया माटी के लाल, विद्रोही दल के प्रमुख सेनापति वीर रणजीत सिंह अहीर जी को कोटि कोटि नमन्।
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