Shahpur and Jagdishpur chairman : भोजपुर जिले के शाहपुर व जगदीशपुर नगर पंचायत के चेयरमैन की अयोग्यता को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई की तिथि निर्धारित होते ही दोनों जगह राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
- हाइलाइट : Shahpur and Jagdishpur chairman
- शाहपुर के मुख्यपार्षद व एक वार्ड पार्षद के मामले की चल रही हैं सुनवाई
- गलत हलफनामे के कारण शाहपुर नपं के दो वार्ड पार्षदों की जा चुकी हैं सदस्यता
- दो से अधिक संतान का मामले में जगदीशपुर नपं के चेयरमैन पर चल रही सुनवाई
Shahpur and Jagdishpur chairman आरा/शाहपुर/जगदीशपुर: भोजपुर जिले के शाहपुर नगर पंचायत के चेयरमैन जुगनू देवी की अयोग्यता को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित होते ही एक बार फिर शाहपुर नपं का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। नामांकन के दौरान चेयरमैन ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें भारी त्रुटि हुई है।
जुगनू देवी पर नॉमिनेशन पूर्व बकाया टैक्स जमा नहीं करने और पद के दुरुपयोग के आरोप है। जिसके कारण इनकी कुर्सी संकट में है। यह मामला SEC-Bihar Court में वाद संख्या-50/2024 दर्ज है। जिसकी पहली सुनवाई 19 नवंबर 2024 को राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त द्वारा की गई थी।
दो से अधिक संतान का मामला: जगदीशपुर नगर पंचायत के मुख्य पार्षद संतोष कुमार यादव पर दो से अधिक संतान होने के बाद चेयरमैन के पद पर निर्वाचित होने को लेकर SEC-Bihar Court में दो मामला दर्ज कराया गया है। दोनों में अलग-अलग वादी है। एक में मुकेश कुमार तो दूसरे में सरिता शर्मा वादी है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भोजपुर जिले के दोनों मुख्य पार्षद सहित एक वार्ड पार्षद की सुनवाई की तिथि 26/12/2024 निर्धारित की गई है।
सदस्यता क्या सचमुच खतरे में हैं ? फिलहाल शाहपुर नगर पंचायत के दो वार्ड पार्षदों की सदस्यता निर्वाचन आयोग के द्वारा रद्द किया जा चुका है। वही मुख्यपार्षद व एक वार्ड पार्षद के सदस्यता रद्द करने को लेकर निर्वाचन आयोग में सुनवाई चल रही है। बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 (I) (k) एवं धारा 18 (I) (L) उल्लघन के संबंध में चेयरमैन पर केस फाइल किया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 26 दिसंबर निर्धारित की गई है, सुनवाई की यह प्रक्रिया चेयरमैन की अयोग्यता को तय करेगी।
शाहपुर नपं के वार्ड पार्षदों के सपथ पत्र में भारी त्रुटि: शाहपुर नगर पंचायत में विकास कार्य से असंतुष्ट नागरिकों द्वारा नपं के कई पार्षदों का सपथ पत्र खंगाला जा रहा है। जानकारों की माने तो नामांकन के दौरान शपथ पत्र में दिए गए हलफनामा या तो लापरवाही में दिया गया है, या जानकारी के अभाव में। नामांकन वाले नाम निर्देशन पत्र में स्पष्ट लिखा हुआ है कि किन-किन मामलों में जानकारी चाहिए। जिसे सही सही तरीके से नही भरने पर उनकी सदस्यता जा सकती है।
शाहपुर नपं के कई वार्ड पार्षदों ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें भारी त्रुटि हुई है। एक पार्षद के सपथ पत्र में तीन पुत्रों का जिक्र किया गया है लेकिन कट ऑफ तिथि 04 अप्रैल 2008 के बाद का छुपाया गया है। दूसरे पार्षद का नामांकन पत्र भरने वाले शाहपुर नपं के ही एक वकील साहब ने शून्य बढ़ाकर इतना भारी रकम नगद और उनके खाते में डाल दिया है की जो कभी उनके पास कभी थे ही नहीं।
तीसरे पार्षद का मतदाता सूची में नाम पंचायत और नगर निकाय दोनों जगहों पर है। चौथे पार्षद की पत्नी सरकारी नौकरी में है जबकि सपथ पत्र में इसे छुपाया गया है। पांचवे पार्षद द्वारा अपने केस को सपथ पत्र में छुपा दिया गया है। वही इन सभी पार्षदों द्वारा नगरपालिका क्षेत्र के अंदर जमीन रहते हुए भी इसका टैक्स जमा नहीं किया है। यह इनकी अयोग्यता का बड़ा कारण हो सकता है।
नामांकन पूर्व नगरपालिका का बकाया पार्षद के अयोग्यता का बड़ा कारण
निर्वाचन आयोग से जुड़े एक अधिवक्ता ने बताया कि शाहपुर नपं के सभी पार्षदों ने सपथ पत्र में नगरपालिका क्षेत्र के अंदर अपने मकान का होल्डिंग जमा कर, प्राप्त रशीद के आधार पर एनओसी प्राप्त कर लिया है और नामांकन कर दिया है। जबकि नगरपालिका क्षेत्र के अंदर स्थित अपनी जमीन के होल्डिंग टैक्स को जमा नहीं किया है। इसके बावजूद उन्हे एनओसी दे दिया गया। यह राजस्व चोरी को दर्शाता है।
नामांकन पूर्व नगरपालिका का बकाया होना यह पार्षद के अयोग्यता का बड़ा कारण हो सकता है। वही नामांकन पत्र भरने के समय प्रत्याशियों द्वारा जानकारी के अभाव में बहुत सारी बातों कि जानकारी अपने अधिवक्ता को नहीं दे पाते है। जिसके कारण इस तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।