Shahpur – NGO workers strike: शाहपुर नगर पंचायत के सफाई कर्मियों की स्थिति ‘KGF’ फिल्म में दिखाए गए ऐसे श्रमिकों की याद दिलाती है, जो अपने हक के लिए लड़ाई लड़ते हैं, किन्तु सिस्टम द्वारा लगातार दवाए जाते हैं।
- हाइलाइट : Shahpur – NGO workers strike
- एकरारनामा के शर्तों के मुताबिक 40 श्रमिक करते है शाहपुर नगर की सफाई
- हड़ताल पर बैठे सफाई कर्मियों ने कहा हर रोज आधे से भी कम आते है श्रमिक
- आखिरकार, सफाई एनजीओ किसके खाते में पैसा भेज रही हैं?
आरा: शाहपुर नगर पंचायत के सफाई एनजीओ (प्रताप सेवा संकल्प,गोविंद फुलकान, मुजफरपुर) के सफाई कर्मियों की स्थिति आज के समय में अत्यंत चिंतनीय है। सफाई कर्मियों को अपने दैनिक कार्यों के लिए जो मेहनताना मिलता है, उसे पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। गलती से जब ये कर्मी सफाई किट,अन्य संसाधन की मांग करते हैं, तो उन्हें अक्सर नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति ‘KGF’ फिल्म में दिखाए गए ऐसे श्रमिकों की याद दिलाती है, जो अपने हक के लिए लड़ाई लड़ते हैं, किन्तु सिस्टम द्वारा लगातार दवाए जाते हैं।
शाहपुर नगर पंचायत के सफाई एनजीओ के द्वारा भी श्रमिकों को भी ऐसा ही अनुभव हो रहा है, जहाँ वे अपने बकाये मानदेय के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जब ये कर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करते हैं, सफाई एनजीओ द्वारा नियुक्त नए जमादारों द्वारा उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी मिलती है और उन्हे अपशब्द बोलकर निकाल दिया जाता है। इसकी शिकायत कार्यपालक पदाधिकारी से करने के लिए आज सफाई कर्मी सुबह से ही नगर पंचायत कार्यालय में जमे रहें।
इस परिस्थिति में आवश्यक है कि शाहपुर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी इन मेहनती श्रमिकों की परिस्थितियों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएं। सरकार के नियमावली का सख्ती से पालन करें। और एकरारनामा के शर्तों में फेल सफाई एनजीओ प्रताप सेवा संकल्प,गोविंद फुलकान, मुजफरपुर को ब्लैक लिस्टेड करने की आवश्यकता पर आवश्यक कारवाई करें। ताकि शाहपुर नगर पंचायत की सफाई व्यवस्था सुधर सकें।
इधर, सफाई कर्मियों की इस हड़ताल के दौरान, एक चर्चा ने जोर पकड़ लिया, जिसमें कहा जा रहा है कि एनजीओ को शाहपुर नगर पंचायत सफाई कार्य के लिए हर माह करीब 12 लाख रुपये प्राप्त होते रहे हैं, लेकिन उन धनराशियों का वास्तविक उपयोग नहीं हो रहा है। खबरे आपकी की टीम ने सफाई कर्मियों की घट रही संख्या एवं बार बार हड़ताल के कारण को जानने का प्रयास किया।
इधर, कई सफाई कर्मियों ने आरोप लगाया है कि सफाई एनजीओ (प्रताप सेवा संकल्प,गोविंद फुलकान, मुजफरपुर) के पास सफाई कर्मियों के लिए कोई भी संसाधन उपलब्ध नहीं है। शाहपुर नगर पंचायत की टूटी ट्रौली का ही वे लोग उपयोग करते है। जिसमे काफी मेहनत करना पड़ता है। कई कर्मी घायल भी हो जाते है लेकिन उन्हें सहायता पहुँचाने के लिए एनजीओ के पास कोई संसाधन नहीं हैं।
मांग करने पर काम का पैसा रोक लिया जाता है और उन्हे अपशब्द बोलकर भगा दिया जाता है। जो कर्मी सफाई कर रहे है उनकी संख्या एनजीओ के एकरारनामा के अनुसार आधे से भी कम है। इन हालातों ने यह प्रश्न उठाया है कि आखिरकार, एकरारनामा के शर्तों के मुताबिक 40 श्रमिकों का पैसा ये एनजीओ किसके खाते में पैसा भेज रही हैं? क्या बिना सफाई कार्य किए ये धनराशियाँ अन्य लोगों के खाते में diverted किया जा रहा है?