Natural Resources: भोजपुर जिले के गंगानदी के तटवर्ती इलाके में धरती के भूगर्भ से प्राकृतिक संसाधनों को दोहन करने के उद्देश्य से खुदाई शुरू कर दी गई है।
- हाइलाइट्स: Natural Resources
- गंगानदी के तटवर्ती क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के लिए खुदाई शुरू
- करीब तीन वर्ष पूर्व के खुदाई के दौरान मिले थे प्राकृतिक संसाधनों के होने के संकेत
Natural Resources आरा/शाहपुर: भोजपुर जिले के गंगानदी के तटवर्ती इलाके में धरती के भूगर्भ से प्राकृतिक संसाधनों को दोहन करने के उद्देश्य से खुदाई शुरू कर दी गई है। जिस स्थान पर खुदाई हो रही है। वह पूर्व में गंगानदी का बहाव क्षेत्र था। वर्तमान में गंगानदी की दूरी तीन किलोमीटर हैं। पूर्व में खुदाई के दौरान भूगर्भ से प्राप्त तरत पदार्थ व मिट्टी के लिए गए नमूनों को हैदराबाद के अल्फा जियो के प्रयोगशाला में जांच व विश्लेषण में प्राकृतिक संसाधनों के मिलने के संकेत प्राप्त हुए थे। जिसके आधार पर प्राकृतिक गैस, कोयला, धातुओं तथा पेट्रोलियम प्रोडक्ट की खोज के लिए भारत सरकार द्वारा खुदाई कराई जा रही है।
यदि संकेत के आधार पर हो रही खुदाई में प्राकृतिक संसाधन प्राप्त हो जाता है तो क्षेत्र का नाम भी माइनिंग क्षेत्र में जुड़ जाएगा। जिसके साथ ही क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका भी निभायेगा। हालांकि ये बातें फिलहाल धरती के भूगर्भ में है। जिसे बाहर निकलने की कवायद में सरकार जुट गई है। खुदाई करने वाले मजदूरों द्वारा बताया गया कि उक्त परियोजना भारत सरकार व बिहार सरकार के आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम के तहत यह कार्य कराया जा रहा है।
करीब तीन वर्ष पूर्व हैदराबाद की अल्फा जियो कंपनी द्वारा तीन किलोमीटर तक खुदाई की गई थी। जो करीब दो से तीन किलोमीटर भूमि के भीतर तक हुई थी। जिसके जांच आधार पर कुछ संकेत मिले हैं। जिसको लेकर भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के देवमलपुर गांव के मौजा में खुदाई का कार्य चल रहा है।
कंपनी के क्रॉप अधिकारी द्वारा बताया गया कि यह कार्य धरती से 3 से 6 किलोमीटर नीचे तक खुदाई कर उसकी जांच की जाएगी। खुदाई के दौरान भूगर्भ में प्रत्येक बीस मीटर पर हल्का डाइनामाइट लगाकर हल्के विस्फोट कर निचले स्तर पर ड्रिलर को पहुंचाया जा रहा है। विस्फोटक के बाद धरती पर जो हलचल होती है। उसका डेटा करीब में लगे एक विशेष यंत्र द्वारा तैयार किया जाता है।
यह खुदाई लोगो के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है। अचानक से चिन्हित प्लाट पर जाकर खड़ी फसल के बीच खुदाई करने को लेकर पहले तो जमीन मालिक से संपर्क किया गया। जमीन मालिक को बताया गया है कि खुदाई से उसकी फसल की जितनी नुकसान होगा उसकी भरपाई की जाएगी। जिसके बाद उक्त प्लॉट की खुदाई का कार्य शुरू कराया गया।