Kundwa Shiv Temple Story: शाहपुर फोरलेन स्थित कुंडवा शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से ही उमड़ी रही
Bihar/Ara: महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया। भोजपुर जिले के सभी शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रही। शिव मंदिरों में भारी भीड़ के साथ हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारों से भोजपुर जिले के सभी शिवालय गूंज उठे। भगवान शंकर को जल,बेलपत्र,दूध आदि पौराणिक परंपरा के अनुसार चढ़ाए गये।
वही शाहपुर फोरलेन स्थित कुंडवा शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से ही उमड़ी रही। इस बार यहां लगे मेला में भारी भीड़ रहीं। धार्मिक आस्था का केन्द्र कुंडेश्वर शिव (कुड़वा शिव) पुरातात्विक व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मंदिर है। प्रत्येक वर्ष सावन और फागुन महीने की महाशिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है। बिना ईट के बने इस शिव मंदिर की बनावट व शिल्पकारी इसे पुरातन मंदिरों की श्रेणी में खड़ा करता है।
इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर खुलता है। बिना ईट के प्रयोग किये वृहद शिलाखंडों से निर्मित इस मंदिर के दीवारों पर उकेरी गयी कलाकृतियां तत्कालीन शिल्पकारों के कला कौशल को दर्शाता है। ठीक इसी प्रकार की बनावट वाली पार्वती एवं एक अन्य मंदिर है जो पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण एवं वर्तमान में धरोहर है।
Kundwa Shiv Temple Story: यह मंदिर कब और किसने बनवाया ?
मंदिर के निर्माण से जुड़े कोई लिखित प्रमाण तो नहीं हे। लेकिन स्थानीय लोक गाथाओं, किदवंतियों, मंदिर की बनावट एवं यहां स्थापित कलाकृतियों से यह अनुदान लगाया जाता है कि यह मंदिर महाभारत कालीन राजाओं द्वारा बनवाया गया होगा। किदवंतियों के अनुसार, राजा वाणासुर द्वारा इसे बनवाया गया है तब यहां से पवित्र गंगा नदी की मुख्यधारा यही से गुजरती थी। इसका प्रमाण छठवी शताब्दी के आसपास महाकवि वाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित में भी मिलता है।
क्या है रक्त रंजित शिवलिंग की स्थापना व् मंदिर से जुड़ी कहानी ?
किदवंतियों के अनुसार वाणासुर इसी स्थान पर आकर गंगा नदी के किनारे तपस्या करता था। कुछ वर्षो की तपस्या के उपरांत उसने यहां महायज्ञ करने की ठानी। यज्ञ के लिए हवन कुंड की खुदाई होने लगी। इसी खुदाई के दौरान श्रमिकों का फावड़ा किसी पत्थर से टकराई तथा उससे रक्त बहने लगा। इसकी सूचना वाणासुर को दी गयी। रक्त रंजित पत्थर को निकालकर बाहर रखा गया जो शिवलिंग की आकृति का था। कहा जाता है कि रात्रि पहर भगवान शिव ने उसके स्वप्न में आकर आदेश दिये कि वह इस रक्त रंजित शिवलिंग की स्थापना करे। वाणासुर द्वारा भगवान के आदेश पर इसे स्थापित किया गया। चूंकि यह लिंग हवन कुंड की खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ था इसलिए इसका नाम कुंडेश्वर शिव रखा गया।
कहां अवस्थित है यह प्राचीन कुड़वा शिव मंदिर ?
कुंडेश्वर शिव मंदिर (कुड़वा शिव) भोजपुर जिला मुख्यालय (आरा ) से करीब 30 किलोमीटर पश्चिम आरा-बक्सर मुख्य मार्ग फोरलेन सड़क से बिल्कुल सटे बिलौटी एवं शाहपुर के बीचोबीच अवस्थित है। मंदिर से शाहपुर प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है। वही नजदीकी रेलवे स्टेशन बनाही व् बिहिया है।