Wednesday, April 2, 2025
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तीज व्रत – युग-युग रही ऐहवात, सेनुर रहे माथ सखी

Teej Vrat: तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था।

Teej Vrat: तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था।

  • हाइलाइट : Teej Vrat
    • भारतीय संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है तीज व्रत
    • सुहागन बहू बेटियों के नैहर एवं ससुराल से जुड़ाव का व्रत है तीज

आरा/शाहपुर: तीज का व्रत भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्यतः महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और इसका उद्देश्य पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करना होता है। इस व्रत में महिलाएँ विशेष तैयारियाँ करती हैं। वे नए वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं और इस दिन महिलाएँ निर्जला उपवास रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे दिनभर भोजन नहीं करतीं, केवल रात्रि में फल का सेवन करती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक सामाजिक अवसर भी होता है। इस दिन वे एकत्रित होकर लोकगीत भी गाती हैं। युग-युग रही ऐहवात, सेनुर रहे माथ सखी। सखी हो पियवा के लंबी उमीरिया, हरदम रहे साथ सखी। और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देती हैं।

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तीज का व्रत शिव और पार्वती के मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। अतः इस दिन शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। महिलाएँ शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं और उनकी आराधना करती हैं, ताकि उन्हें पति के रूप में शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो। इस प्रकार, तीज का व्रत न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय समाज में महिलाओं की एकजुटता और उनकी शक्ति का भी प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि नारी का स्थान समाज में कितना महत्वपूर्ण है और उनकी भावनाएँ और इच्छाएँ कितनी गहन होती हैं। तीज का व्रत भारतीय संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है, जो समय के साथ अपनी परंपराओं को जीवित रखे हुए है।

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Teej Vrat: सुहागन बहू बेटियों के नैहर एवं ससुराल से जुड़ाव का व्रत है तीज

तीज का व्रत पति-पत्नी के प्रेम व मधुर संबंध का प्रतीक भी माना जाता है। यह व्रत पति के दीर्घायु कामना के लिए सुहागनों द्वारा किया जाता है। यह परंपरा वैदिक काल से चली जा रही है। जिसमें नैहर एवं ससुराल से बहू बेटियों को तीज भेजा जाता है। व्रत में सुहागिनों को वस्त्र, सिंदूर, मेहंदी, मिष्ठान, लहठी, टिकुली तथा श्रृंगार के सामान भेजा जाता है,जो सुहाग के प्रतीक है। ससुराल में रहने वाले बेटियों को नैहर से उनके भाइयों द्वारा तीज पर उनके लिए उपहार भेजा जाता है। वहीं यदि बहू अपने मायके में हो तो ससुराल से ससुराल वालों द्वारा उन्हें तीज उपहार भेजा जाता है। जिसमें ससुराल एवं मायके का संबंध हमेशा मधुर बना रहता है।

तीज व्रत को आधुनिक समय में बड़े धूमधाम से सुहागिनों द्वारा मनाया जाता है। अब यह परंपरा सात समंदर के विदेश में भी देखा जा रहा है। हालांकि पहले भी तीज व्रत सुहागन द्वारा परंपराओं के तहत घरों में किया जाता था। जबकि वर्तमान समय में यह हाईटेक हो चुका है। अमेरिका के मेरीलैंड यूनिवर्सिटी में बतौर साइंटिस्ट सह लेक्चर कार्यरत डा. अंशु ओझा ने भी तीज व्रत को सुहागिनों के लिए सबसे बड़ा व्रत बताया और वह तीज व्रत को लेकर यहां भी महिलाएं काफी उत्साहित है। जिप सदस्य कृष्णा देवी ने कहा कि यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। सुहागने अपने पति के दीर्घायु कामना के लिए करती है।

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शाहपुर यज्ञ समिति
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