राजद नेता हीरा ओझा ने कहा कि हम अपने सत्ता प्रतिष्ठान से पूछना चाहते है कि क्यों आपने उन सभी नियमो एवं प्रावधानो को बदलने में तत्परता दिखाई, जो आपकी पार्टी को राजनीतिक रूप से फायदा पहुँचाते हैं। परंतु वे प्रावधान एवं नियम आपको छः वर्षो में भी क्यों नही दिखाई पड़े, जो सैनिकों को (भारत-माता के वीर सपूतों) निहत्था (बिना-हथियार) रणभूमि में जाने के लिये विवश करते हैं।
कृष्णा जन्माष्टमी के अवसर पर बोलते हुए राजद ने हीरा ओझा ने कहा कि कंस का बध हो अथवा महाभारत के महायुद्ध का आरंभ भगवान कृष्ण ने नही ,देवकी एवं वसुदेव ने अपनी छः संतानो के बलिदान से किया था। भारतीय वाङ्मय में अकेले कृष्ण है जो दमनवादी नही है। वे जितनी असानी से रास रचाते है, माखन चुराते है उतनी ही सरलता एवं सहजता से युद्ध के बीच रथ को खड़ा कर गीता जैसे गहन गंभीर दर्शन की व्याख्या करते है।
हीरा ओझा ने कहा कि कृष्ण करुणा से भरे होते हुये भी युद्ध में लड़ने की क्षमता रखते हैं। अहिंसक चित्त के होते हुये भी हिंसा की प्रज्वलित दावानल में उतर जाते हैं।
हमें ” शी जिनपिंग ” तथा चीन के समक्ष यह स्पष्ट करना पड़ेगा कि हम तुम्हारी धौस नही सहेंगे-हीरा ओझा
राजद नेता हीरा ओझा ने आगे कहा कि हमें ” शी जिनपिंग ” तथा चीन के समक्ष यह स्पष्ट करना पड़ेगा कि हम तुम्हारी धौस नही सहेंगे हम लकीर के फकीर नही है। हम भारत के लोग अपने सैनिकों के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने के लिये सन्नद्ध एवं प्रतिवद्ध हैं। लेकिन हम अपने सत्ता प्रतिष्ठान से पूछना चाहते है कि क्यों आपने उन सभी नियमो एवं प्रावधानो को बदलने में तत्परता दिखाई, जो आपकी पार्टी को राजनीतिक रूप से फायदा पहुँचाते हैं। परंतु वे प्रावधान एवं नियम आपको छः वर्षो में भी क्यों नही दिखाई पड़े, जो सैनिकों को (भारत-माता के वीर सपूतों) निहत्था (बिना-हथियार) रणभूमि में जाने के लिये विवश करते हैं।