Friday, November 22, 2024
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बच्चों में बोनफिक्स से नशे की लत बनती जा रही घातक

बच्चों में बोनफिक्स से नशे की लत बनती जा रही घातक
नारायणपुर में बोनफिक्स से छात्र की मौत भोजपुर जिले की पहली घटना
स्कूली छात्र की बोनफिक्स से मौत से सकते में पुलिस और पब्लिक
छोटे-छोटे बच्चों में बढ़ती जा रही नशे की लत, बोनफिक्स का भी करने लगे इस्तेमाल
कृष्ण कुमार
आरा। भोजपुर जिले में नशाखोरी बढ़ती जा रही है। युवाओं में शराब व गांजा के साथ अन्य नशा की प्रवृत्ति तो बढ़ ही रही थी। अब तो छोटे-छोटे बच्चे भी नशा करने लगे हैं। नशा का सेवन सिर्फ गुटखा व धूम्रपान तक सीमित नहीं रह गया है। बल्कि शराब और गांजा के अलावा युवाओं वह बच्चों का एक बड़ा वर्ग बोनफिक्स का सेवन भी करने लगा है। आरा शहर से लेकर गांव तक के बच्चों में इसकी लत बढ़ती जा रही है। बच्चों की नशे की यह आदत उनके जीवन के लिए काफी घातक होती जा रही है। नारायणपुर थान क्षेत्र के चासी गांव में स्कूली छात्र की मौत इसी का नतीजा है। बोनफिक्स लेने की वजह से उस छात्र की मौत हो गयी है। पुलिस का कहना है कि दस साल का छात्र अपने दोस्तों के साथ बोनफिक्स का कश ले रहा था। हालांकि छात्र की मौत जिले की इस तरह की पहली घटना है। लेकिन इस घटना के पीछे की कहानी बता रही हैं कि काफी बच्चे बोनफिक्स के आदी हो चुके हैं। इधर, इस घटना से पुलिस के साथ आम लोग भी सकते में हैं। हालांकि छात्र की मौत के बाद पुलिस एक्शन में आ गयी है। बच्चों को बोनफिक्स उपलब्ध कराने में चासी और अगिआंव के दो दुकानदारों को गिरफ्तार भी किया है। दोनों के पास से 78 पीस बोनफिक्स और एक पैकेट प्लास्टिक भी बरामद किया गया है। पुलिस की रडार पर अब कुछ अन्य दुकानदार भी हैं।

20 रुपए का ट्यूब, पांच का प्लास्टिक और मजा फुल


आरा। बोनफिक्स ट्यूब है। इसका इस्तेमाल रबर, प्लास्टिक और शीशा चिपकाने में होता है। बोनफिक्स ट्यूब आसानी से किसी भी जनरल स्टोर्स और स्टेशनरी शॉप पर मिल जाती है। अब तो गांव की छोटी-मोटी किराना दुकानों पर भी यह बिकने लगी है। इसकी कीमत भी ज्यादा नहीं है। 20-30 रुपए में यह मिल जाती है। इससे यह बच्चों तक आसानी से पहुंच जाती है। इस कारण बच्चे इसके नशे के आदी होते जा रहे हैं। लोगों की मानें तो इस नशे के आदी बीस रुपए का ट्यूब और पांच रुपए के प्लास्टिक खरीद फुल मजा ले रहे हैं। कहा जाता है कि प्लास्टिक में भर कर बोनफिक्स सुंघने से काफी नशा करता है। बता दें कि आरा शहर के विभिन्न इलाको तथा रेलवे स्टेशन के नजदीक कचरा चुनने वाले स्लम एरिया छोटे-छोटे बच्चे बोनफिक्स का नशा करते देखे जा रहे थे। लेकिन अब यह गांव तक पहुंच गया है। लोगों का कहना है कि पहले नशेड़ी व्हाइटनर का उपयोग नशे के रूप में करते थे, लेकिन उसे शीशी के बजाए पेन टाइप के रूप में कर दिया गया, जिसके बाद ज्यादातर नशेडी बोनफिक्स का इस्तेमाल करने लगे। चासी गांव की घटना के बाद पुलिस अब यह पता लगा रही है कि आखिर गांव के बच्चे बोनफिक्स के नशे के शिकार कैसे बनने लगे। इधर, चासी कांड का खुलासा करते हुए एसपी संजय कुमार सिंह की ओर से आम लोगों को इस तरह की घटनाओं को लेकर चौकस रहने की अपील की गयी है।

बोनफिक्स की फॉरेंसिक जांच करायेगी पुलिस, नमूना भेजेगी पटना
स्कूली छात्र की बोनफिक्स से मौत की बात सामने आने के बाद पुलिस फॉरेंसिक जांच कराने में जुटी है। इसे लेकर पुलिस बरामद बोनफिक्स को फॉरेंसिक लैबोरेटरी भेजने की तैयारी कर रही है। पुलिस यह भी जानने का प्रयास कर रही है कि बोनफिक्स बच्चों के स्वास्थ्य पर कितना और कैसे असर करता है। दूसरी ओर हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो तंत्रिका तंत्र पर असर बोनफिक्स सीधे तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है। उत्तेजना होने पर नशा करने वाला व्यक्ति क्राइम भी करता है। लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने पर व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग और पागल हो सकता है। बोनफिक्स में मौजूद तत्व काफी घातक होते हैं। बताते चलें कि छात्र की मौत के बाद जांच में जुटी पुलिस ने उसके दोस्तों से पूछताछ की, तो बोनफिक्स का सेवन करने की बात सामने आयी थी। बच्चों ने पुलिस को बताया था कि गांव की ही दुकान से बोनफिक्स खरीदने के बाद सभी ने प्लास्टिक में भर कर उसे सुंघा था। उससे चारों बेहोश हो गये थे और छात्र के शरीर पर गिर गये थे। उससे दम घुटने से छात्र की मौत हो गयी थी।

KRISHNA KUMAR
KRISHNA KUMAR
बिहार के आरा निवासी डॉ. कृष्ण कुमार एक भारतीय पत्रकार है। डॉ. कृष्ण कुमार हिन्दी समाचार खबरें आपकी के संपादक एवं न्यूज पोर्टल वेबसाईट के प्रमुख लोगों में से एक है।
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