Thursday, April 25, 2024
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प्रथम स्वाधीनता संग्राम का गवाह है आरा हाउस

Ara House is a symbol of freedom: बाबू कुंवर सिंह की वीरता और जनता की आजादी का प्रतीक है आरा हाउस

खबरे आपकी कृष्ण कुमार आरा: 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन एक महान भारतीय क्रांति था। इस विद्रोह ने शाहाबाद जिले में राष्ट्रीय क्रांति के सभी लक्षण प्रकट किए थे। स्वतंत्रता आंदोलन के महान सेनानी बाबू कुंवर सिंह की वीरता से जुड़ी उनकी स्मृति अवशेषों में एक आरा हाउस आज भी मुख्य गवाह बना हुआ है। इतिहासकारों के अनुसार 1857 के जुलाई माह के अंतिम सप्ताह के बाद शाहाबाद जिला अंग्रेजों के लिए विद्रोह का वास्तविक गढ़ साबित हुआ।

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Ara House

Ara House is a symbol of freedom:सिपाही विद्रोह 25 जुलाई 1857

25 जुलाई 1857 को दानापुर के सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया विद्रोह का समाचार पाकर शाहाबाद के मजिस्ट्रेट एचसी वेक ने सभी युरोपियों को ईस्ट इंडिया कंपनी के रेल विभाग के इंजीनियर के दो मंजिले मकान (वर्तमान में आरा हाउस) में 26 जुलाई 1857 की शाम को शरण लेकर गोलबंदी कर दी तथा महीने भर तक के लिए भोजन सामग्री और रक्षा के लिए अतिरिक्त साधन साथ ले लिए। 27 जुलाई को दानापुर के पलटन के आ जाने के बाद बाबू कुंवर सिंह और उनके दल ने आरा स्थित अंग्रेजी छावनी को घेर लिया।

बाबू कुंवर सिंह की वीरता

विद्रोही पलटन द्वारा आरा कलेक्ट्री स्थित सरकारी खजाने को लूटने के बाद आरा हाउस पर आक्रमण कर दिया। अपने ऊपर मौत को मंडराता देख सभी अंग्रेज अफसरों एवं युरोपियों ने कुंवर सिंह के समक्ष समर्पण कर दिया। इसके साथ ही कुंवर सिंह आरा हाउस पर कब्जा कर लिया। उसके बाद से ही यह भवन बाबू कुंवर सिंह की वीरता और जनपद की जनता की आजादी के प्रति जुझारूपन का प्रतीक बन गया। लेकिन वर्तमान में प्रशासनिक उदासीनता के कारण आरा हाउस उपेक्षित है।

कुंवर सिंह संग्रहालय का उद्घाटन

23 अप्रैल 1976 को मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति ने यहां कुंवर सिंह संग्रहालय का उद्घाटन किया। लेकिन भवन के जर्जर स्थिति को देख उसे अन्यत्र हटा लिया गया। बाद में राज्य सरकार द्वारा इसे सुरक्षित स्मारक घोषित किया गया। लगभग 50 फीट चौड़ा, 30 फीट ऊंचा इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2003-04 में लाखों रुपए की राशि स्वीकृत हुई। जिसमें 16 लाख 28 हजार 345 रुपए का भुगतान जीर्णोद्धार के लिए तथा 1 लाख 93 हजार विद्युत कार्य करने के लिए मुहैया कराया गया। 5 जुलाई 2003 को भवन के संरक्षण और विकास कार्यों का शिलान्यास हुआ।

KRISHNA KUMAR
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Journalist
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