Monday, May 19, 2025
No menu items!
Homeआरा भोजपुरबिहियालंबे समय तक रहे फरार तो खतरे में पड़ सकती है बिहिया...

लंबे समय तक रहे फरार तो खतरे में पड़ सकती है बिहिया चेयरमैन की सदस्यता

हलाकी बिहिया चेयरमैन का मामला इसी वर्ष 30 जनवरी का है और अभी चार महीने भी नहीं हुए है

Bihiya chairman: बिहिया थाना में दर्ज प्राथमिकी के फलस्वरूप बिहिया चेयरमैन सचिन कुमार गुप्ता का लम्बे समय से फरार रहना उनकी सदस्यता के लिए गंभीर चुनौती उत्पन्न कर रहा है।

  • हाइलाइट्स: Bihiya chairman
    • हलाकी बिहिया चेयरमैन का मामला इसी वर्ष 30 जनवरी का है और अभी चार महीने भी नहीं हुए है
    • दूसरा मामला इसी वर्ष 13 अप्रैल का है। मुख्य पार्षद के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है

आरा: बिहिया थाना में दर्ज प्राथमिकी के फलस्वरूप बिहिया चेयरमैन सचिन कुमार गुप्ता का लम्बे समय से फरार रहना उनकी सदस्यता के लिए गंभीर चुनौती उत्पन्न कर रहा है। बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 18(1) छ इस स्थिति को स्पष्ट रूप से संबोधित करती है।

उक्त धारा के अनुसार, यदि कोई पार्षद किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त पाया जाता है और छह महीने या उससे अधिक समय तक फरार रहता है, तो उसे पार्षद के पद के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है। बिहिया चेयरमैन सचिन कुमार गुप्ता पर लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, और उनका वर्तमान में फरार रहना इस अधिनियम के प्रावधानों को सक्रिय कर सकता है। हलाकी बिहिया चेयरमैन का मामला इसी वर्ष 30 जनवरी का है और अभी चार महीने भी नहीं हुए है। इसी वर्ष 13 अप्रैल को दूसरा मामला नगर पंचायत बिहिया के वार्ड नंबर 8 स्थित महादलित टोला में हुई फायरिंग का है। मामले में नगर पंचायत बिहिया के मुख्य पार्षद के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।

Mathematics Coching shahpur
Bharat sir
Mathematics Coching shahpur
Bharat sir
previous arrow
next arrow

पढ़ें : रंगदारी व फायरिंग मामला, बिहिया बीस सूत्री अध्यक्ष के पति गिरफ्तार

यदि बिहिया चेयरमैन सचिन कुमार गुप्ता बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 18(1) छ के निर्धारित अवधि तक फरार रहते हैं, तो उनकी सदस्यता विधि सम्मत तरीके से समाप्त की जा सकती है। यह अधिनियम नगर निकायों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया है। ऐसी स्थिति में, कानून अपना कार्य करेगा और बिहिया नगर पंचायत में चेयरमैन का चुनाव करना पड़ सकता है ताकि प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चलते रहें।

वर्तमान परिस्थिति में, यदि उन्हे राहत नहीं मिलती है तो उनके लम्बे समय तक फरार रहने की स्थिति में सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। इस प्रकार, सचिन कुमार गुप्ता के भविष्य का निर्धारण अब माननीय न्यायालय के निर्णयों और उनके द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर निर्भर करेगा। राहत नहीं मिलने पर चेयरमैन गुप्ता को छह महीने के भीतर आत्मसमर्पण करना ही होगा।

पढ़ें: बिहिया चेयरमैन व पूर्व वार्ड पार्षद आपस में भिड़े, प्राथमिकी दर्ज

- Advertisment -
Bharat Lal
Bharat Lal

Most Popular