- crops damage हाइलाइट :-
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- अगहन दूना, पुषे सवाई। माघ, फागुन बरिसे त घरहूँ से जाई
- तेलहनी व दलहनी खड़ी फसलों के लिए जहर के समान है यह वर्षा
crops damage आरा/शाहपुर: क्षेत्र में पिछले दो दिनों से रुक-रुक हो रही वर्षा से दलहनी और तेलहनी फसल पर प्रतिकूल असर होने की आशंका जताई जा रही है। यह वर्षा भोजपुरी की लोकयोक्ति अगहन दूना, पुषे सवाई। माघ, फागुन बरिसे त घरहूँ से जाई। को पूरी तरह से चरितार्थ करती है। अर्थात अगहन महीने में वर्षा होती है तो उत्पादन दोगुना, पुष माह में सवा गुणा उत्पादन होता है।लेकिन यही वर्षा माघ और फागुन महीने में होती है तो फसलों को भारी नुकसान होता है, उत्पादन में भारी कमी होती है।
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माना जाता है कि माघ महीने के उत्तरार्ध में दलहनी एवं तेलहनी फसल चना, मसूर व मटर के पौधों में फूल आ जाते हैं। जिससे फलिया बनती है। लेकिन इसी समय पर अगर वर्षा हो जाए तो पौधों से फूल झड़ जाते हैं। जिसके कारण उत्पादन में भारी कमी आना स्वाभाविक बात है। खांटी एग्रो फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) के निदेशक सह प्रखंड किसान श्री उमेश चंद्र पांडे के अनुसार मसूर चना एवं तेलहन के लिए यह वर्षा का पानी जहर के समान है। जिसके कारण पौधे से फूल का झड़ना लगभग तय है और उत्पादन आधे से भी काम होने की आशंका बन चुकी है। ऐसे में किसानों को भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।
शाहपुर में करीब दस एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में मसूर, चना एवं मटर की खेती की जाती है। सहजौली के किसान रविंद्र चौधरी, ब्रजेश ओझा दामोदरपुर के पप्पू राय, बहोरनपुर के पैक्स अध्यक्ष रामजी राय, लक्षुटोला पैक्स अध्यक्ष के शिव पुकार राय ने कहा पूछी मत अब कातना नुकसान भइल। ई कहीं की पानी से खाली बरबादिए भइल बा। वर्षा के कारण फसल के होने वाले नुकसान का सीधा असर किसानों पर पड़ता है। क्योंकि उत्पादन में कमी से सीधा किसानों की आर्थिक क्षति होती है।
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