Mountain of garbage in Shahpur: शाहपुर नगर पंचायत में कचरा का उठाव और उसका सही तरीके से निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है।
- हाइलाइट :- Mountain of garbage in Shahpur
- शाहपुर-सरना मुख्य सड़क पुल के समीप नदी के मुहाने पर डंप किया गया कचरा दे रहा बदबू, परेशान हैं लोग
- नगर पंचायत में कचरा डंपिग और निस्तारण का नहीं है समुचित इंतजाम, ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन बना है सपना
भोजपुर: शाहपुर नगर पंचायत में कचरा का उठाव और उसका सही तरीके से निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण शाहपुर-सरना मुख्य सड़क के किनारे पुल के समीप नदी के मुहाने पर बना कूड़े कचरा का पहाड़ प्रदूषण फैला रहा है। शहरी आबादी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए सरकार ने जो नियम-कानून बनाया है उसका अनुपालन तो दूर उसकी जानकारी तक भी जिम्मेदार पदाधिकारियों को नहीं है। कुल मिलाकर शाहपुर से हर रोज निकलने वाला कचरा का किसी तरह उठाव कर शहर के समीप ही सड़क किनारे और नदी के मुहाने पर फेंक दिया जाता है।
पुल के समीप व नदी के मुहाने पर कूड़े का पहाड़
बता दें की शाहपुर नपं के वार्ड 2 एवं वार्ड 3 स्थित पुल के समीप व नदी के मुहाने पर कूड़े का पहाड़ बनता जा रहा है। कूड़ा निस्तारण पर हर महीने नगर पंचायत द्वारा 11 लाख 87 हजार रुपये खर्च होने के बावजूद यह पहाड़ रोज तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह सिर्फ शाहपुर नगर पंचायत के सभी वार्डों से निकालने वाला कूड़ा है और इसके लिए दोषी नगर का सफाई एनजीओ है।
कई किलोमीटर तक फैल रही बदबू
हकीकत यह है कि कूड़ा निस्तारण के लिए शाहपुर नपं द्वारा जैविक अपशिष्ट कंपोस्टर (organic waste composter) मशीन खरीदने के बावजूद नगर पंचायत अपनी व्यवस्था को ठीक नहीं कर पाया। क्षमता (capacity) के अनुसार इस मशीन से 350 kg हर रोज कूड़े से खाद बनाने के जो दावे किए गए थे, उनमें दम नहीं निकला। खाद बनाने बजाय कूड़े का पहाड़ खड़ा कर दिया गया है। फिलहाल स्थिति यह है कि पूरे शाहपुर का कूड़ा पुल के पास नदी के मुहाने पर डाला जा रहा है। इसकी बदबू कई किलोमीटर तक फैल रही है।
लगा रहता है पशुओं का जमावड़ा
वार्ड पार्षद सदस्य कामेश्वर राज ने बताया की कचरा के पहाड़ होने के कारण यहां पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। इससे राहगीरों के अलावा वाहन चालकों को भी दिक्कत हो रही है। वहीं दुर्घटनाओं की भी स्थिति बनी रहती है। वही वार्ड पार्षद सदस्य संजय चतुर्वेदी ने कहा की शाहपुर नगर पंचायत में कचरा का उठाव और उसका निस्तारण सही तरीके से हो इसके लिए कार्यपालक पदाधिकारी से मिलकर कार्रवाई की मांग की जाएगी ।
कैसे रुकेगा प्रदूषण, नियम का नहीं होता है पालन
शहरी क्षेत्र में कचरा डंपिग के लिए कई मानक तय किए गए हैं। इसके तहत शहर की घनी आबादी से करीब 500 मीटर दूर जहां भविष्य में कोई निर्माण कार्य नहीं हो, राष्ट्रीय उच्च पथ से 200 मीटर दूरी पर, नदी से 100 मीटर की दूरी पर, पोखर-तालाब से 200 मीटर दूरी पर कचरा डंपिग ग्राउंड होना अनिवार्य है। यह नो डेवलपमेंट बफर जोन कहलाता है। इस एरिया में कचरा डंप करने के बाद उसे मिट्टी से ढका जाना जरूरी है ताकि उससे निकलने वाली बदबू से प्रदूषण नहीं फैल सके। लेकिन इन नियमों का पालन शाहपुर नगर पंचायत क्षेत्र में अभी सपना बना हुआ है। सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा तय मानक की जानकारी यहां फाइलों में बंद है।
कचरा प्रदूषण क्या है?
कचरा प्रदूषण तब होता है जब डंपिग एरिया में जमा कचरा सड़ रहा होता है और गंध फैलाता है। लोहे का डब्बा, कागज, प्लास्टिक, कांच के टुकड़े, बचा हुआ भोजन, जानवरों की हड्डियां, सब्जियों एवं फलों के छिलके आदि जैसी अकार्बनिक सामग्री को खुले में फेंक दिया जाता है। कचरे में जान बूझकर या अनजाने में अगर आग लग जाती है तो इससे वायु प्रदूषण भी फैलता है। इसके परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा होता है।