Monday, January 27, 2025
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नीतीश व नायडू साथ पर प्रधानमंत्री का तीसरा कार्यकाल आसान नहीं

Third term Prime Minister: बीजेपी ने 240 सीटें जीती है। एनडीए गठबंधन ने 293 सीटें जीती हैं। जेडीयू ने 12 और टीडीपी ने 16 सीटें जीती हैं।

Third term Prime Minister: बीजेपी ने 240 सीटें जीती है। एनडीए गठबंधन ने 293 सीटें जीती हैं। जेडीयू ने 12 और टीडीपी ने 16 सीटें जीती हैं। इन दोनों को मिलाकर 28 सीटें होती हैं जो बहुमत से 21 ज्यादा हैं। लिहाजा दोनों में से किसी एक का साथ रहना जरूरी है।

Futen Ansari
raju yadav
Bijay
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हाइलाइट :- Third term Prime Minister

Madan Yadav
Badak Kushwaha
Junior Engineer
Madan Yadav
Badak Kushwaha
Junior Engineer

बड़ी बात ये है कि इन दोनों दलों का पुराना मिजाज चौंकाने वाला रहा है

Pintu bhaiya
Pintu bhaiya

अपने-अपने राज्यों के लिए पीएम से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर चुके हैं

Third term Prime Minister: 2014 और 2019 में अपने दम पर बहुमत लाने वाली भाजपा इस बार चूक गई है। वह बहुमत (272 सीट) से 32 सीट दूर रह गई। ऐसे में अब दो बड़े सहयोगी दलों के सहारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरे कार्यकाल की सरकार चलानी होगी। ये दो बड़े सहयोगी हैं- बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और दूसरे आंध्र प्रदेश के सीएम बनने जा रहे एन चंद्रबाबू नायडू जो टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) के अध्यक्ष भी हैं। पहले भी ये दोनों पार्टियां एनडीए का हिस्सा रह चुकी हैं और पीएम मोदी के सहयोगी रह चुके हैं। लेकिन इस बार उनकी भूमिका और अहमियत बदली हुई है।

हालिया चुनावों में बीजेपी ने 240 सीटें जीती है। एनडीए गठबंधन ने 293 सीटें जीती हैं। जेडीयू ने 12 और टीडीपी ने 16 सीटें जीती हैं। इन दोनों को मिलाकर 28 सीटें होती हैं जो बहुमत से 21 ज्यादा हैं। लिहाजा दोनों में से किसी एक का साथ रहना जरूरी है। दोनों ने साफ भी कर दिया है कि वे एनडीए के साथ ही रहेंगे लेकिन बड़ी बात ये है कि इन दोनों दलों का पुराना मिजाज चौंकाने वाला रहा है। एक पीएम मोदी का विरोध कर चुकी है तो दूजा विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर एनडीए ही छोड़ चुकी है। इसके अलावा दोनों दलों में एक कॉमन बात ये है कि दोनों के ही नेता (नायडू और नीतीश) अपने-अपने राज्यों के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर चुके हैं।

आज जब नई सरकार के गठन के लिए एनडीए दलों की बैठक हो रही है, तब सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आई है कि नीतीश कुमार ने ना केवल मंत्रिमंडल में अपनी पार्टी के लिए चार कैबिनेट मंत्री पद की मांग की है बल्कि फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की भी मांग की है। दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू ने भी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग अभी तक नहीं छोड़ी है। वह राज्य बंटवारे के समय किए गए वादे के अनुसार केंद्र से ऐसा सहयोग चाहते हैं।

तीसरा कार्यकाल आसान नहीं
ऐसे में स्पष्ट है कि पीएम नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल आसान नहीं रहने वाला है। उन्हें अपनी सरकार बचाकर पूरे पांच साल तक चलाने के लिए इन दोनों अहम सहयोगियों की मांगों के सामने झुकना पड़ सकता है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने के खिलाफ रहे हैं। 2017 में पटना में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की नीतीश कुमार की मांग को भी उसी मंच पर अनसुनी कर चुके हैं। लिहाजा, यह चर्चा जोरों पर है कि अगर नीतीश की इस मांग को पीएम मोदी ने नजरअंदाज किया तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

नीतीश-मोदी के बीच खट्ट-मीठे रिश्ते
राजनीत में नीतीश और नरेंद्र मोदी के बीच खट्टे-मीठे रिश्ते रहे हैं। जब सितंबर 2013 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, तब नीतीश इससे नाराज हो गए थे। बाद में उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ दिया था और भाजपा-जेडीयू की 17 साल की दोस्ती तोड़ दी थी। इसके बाद 2015 का विधानसभा चुनाव राजद के साथ मिलकर लड़ा फिर 2017 में वह एनडीए में वापस लौट आए। 2022 में नीतीश ने फिर पलटी मारी और राजद के साथ आ गए।

इसी साल जनवरी में फिर लोकसभा चुनावों से पहले पलटकर वे एनडीए में चले गए। दोनों के बीच तल्ख रिश्तों की कड़ी और भी पुरानी है। 2009 के लोकसभा चुनावों के प्रचार में नीतीश ने मोदी को बिहार आने से रोक दिया था। 2010 के असेंबली चुनावों में भी ऐसा ही हुआ था। 2010 में भाजपा के विज्ञापनों में मोदी के साथ तस्वीर छापने पर भी नीतीश नाराज हो गए थे।

नायडू-मोदी के बीच भी तल्ख रहे हैं रिश्ते
नीतीश की ही तरह नायडू की भी मोदी से दोस्ती की कहानी उतार-चढ़ाव वाली रही है। 2018 तक वह एनडीए का हिस्सा थे लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर दोनों के बीच सियासी दूरियां इतनी बढ़ीं कि नायडू ने 2018 में लोकसभा में पीएम मोदी की सरकरा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया था। हालांकि यह प्रस्ताव गिर गया था। 2019 के चुनावों में भी मोदी और नायडू के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। इससे पहले 2002 में गुजरात दंगों के बाद नायडू ने मोदी से इस्तीफा भी मांगा था। नायडू उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सबसे पहले सीएम मोदी से इस्तीफा मांगा था।

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भीम सिंह 'भवेश'
भीम सिंह 'भवेश'

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