Pakhawaj samraat संगीत शिरोमणि शत्रुंजय प्रसाद सिंह जयंती समारोह में राष्ट्रीय स्तर के संगीतज्ञों ने समां बांधा
आरा शहर के मारुति नगर स्थित जमीरा कोठी में मनायी गई जयंती
खबरे आपकी आरा शहर के मारुति नगर स्थित जमीरा कोठी में बाबू ललन जी के नाम से विख्यात पखावज सम्राट संगीत शिरोमणि शत्रुंजय प्रसाद सिंह जी के जयंती समारोह में राष्ट्रीय स्तर के संगीतज्ञों ने समां बांधा। बिहार के प्रथम संगीत संस्थान श्री शत्रुंजय संगीत विद्यालय जमीरा कोठी की ओर से आयोजित शास्त्रीय संगीत सम्मेलन का उद्घाटन ललन जी की पुत्रवधू लीला सिंह, वरिष्ठ गायिका सह नृत्यांगना विदुषी मोहिनी देवी, शास्त्रीय गायिका डॉ. जया जैन, विदुषी विमला देवी, पुष्पेन्द्र नारायण सिंह, वरिष्ठ तबला वादक राणा प्रताप सिंह व नीरजा सिंह ने संयुक्त रूप से किया।
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Pakhawaj samraat कार्यक्रम की शुरुआत में कोलकाता से पधारे शास्त्रीय गायक अनुदीप डे ने राग विहाग, मेघ मल्हार, खमाज की ठुमरी “कवन गली गयो श्याम व भजन “यमुना किनारे मोरा गांव सांवरे आ जैयो” की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं दिल्ली से पधारे तबला वादक अमृतेश शांडिल्य ने तीन ताल में पेशकार, कायदा, रेला व बांट सुनाकर वाहवाही लूटी।
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वहीं कथक नर्तक अमित कुमार व नृत्यांगना सोनम कुमारी ने शिव वंदना “डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे” पारंपरिक कथक व कथानक सीता हरण की प्रस्तुति कर तालियां बटोरी। तबले पर सुरज कांत पांडेय व हारमोनियम पर रोहित कुमार ने संगत कर रंग भरा। इस अवसर पर अतिथि डॉ. जया जैन ने कहा कि बाबू ललन जी की संगीत परंपरा शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में नक्षत्र की भांति जगमगा रहा है। बाबू ललन जी आजीवन शास्त्रीय संगीत की सेवा में समर्पित रहें। समारोह में राष्ट्रीय स्तर के संगीतज्ञों ने समां बांधा।
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