Vat Savitri -2025: वट सावित्री व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है।
- हाइलाइट्स: Vat Savitri -2025
- वट सावित्री पूजा आज, पति की दीर्घायु के लिए व्रत करेंगी सुहागिन महिलाएं
Vat Savitri -2025 आरा: हिंदू धर्म में हर व्रत की अलग मान्यता होती है। इसलिए हर तीज-त्योहार को खास तरीके से मनाया जाता है। वट सावित्री का व्रत भी खास है। यह त्योहार आज सोमवार को पड़ रहा है। सुहागिन महिलाएं इसे भी अच्छे से मनाएंगी। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी। साथ ही, श्रृंगार करेंगी। पूजा की थाली को जरूरी सामग्री के साथ तैयार करेंगी। त्योहार को लेकर बाजारों में महिलाओं की भीड़ रही। महिलाओं ने पंखा, रुमाल सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी की। हाथ से बना पंखा 50 रुपए तक में बिका।
मालूम हो कि वट सावित्री व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा करती हैं। कहा जाता है कि वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लिए थे। इस व्रत के प्रभाव से पति की दीर्घायु के साथ वैवाहिक जीवन में भी सुख-समृद्धि आती हैं।
लेकिन, इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करना बेहद जरूरी है। इस बार बन रहा अद्भुत संयोग वट सावित्री व्रत पर इस बार सोमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस संयोग के बनने से व्रतियों को 100 गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी। वट सावित्री व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए होता है। इस बार यह व्रत 26 मई को होगा।
आचार्य सज्जन पांडेय के अनुसार इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई को सोमवार का दिन है। सोमवार के दिन पड़ने से सोमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस संयोग के बनने के फलस्वरूप व्रतियों को 100 गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो सौभाग्यवती स्त्री इस दिन वट वृक्ष की पूजा करके उसकी परिक्रमा करती है, उसे पति की दीर्घायु प्राप्त होती है।
पूजा के लिए इस समय होगा मुहूर्त: आचार्य जी ने बताया कि 26 मई को वट सावित्री व्रत की पूजा करने का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट के बाद प्रारंभ होगा। अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर लगभग 12 बजकर 10 मिनट पर होगा। 27 मई को सुबह करीब 8 बजकर 30 मिनट पर अमावस्या तिथि का समापन होगा। मध्यान्ह व्यापिनी न होने से यह व्रत 26 मई को ही किया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
आचार्य सज्जन पांडेय ने बताया कि वट सावित्री व्रत करने के लिए रक्षा सूत्र, रोली, चंदन, सिंदूर, सुपारी, नारियल, दीपक, कलश, इत्र, लाल वस्त्र, मिष्ठान तथा मौसमी फल रखकर वट वृक्ष के पास भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। कच्चा सूत्र लपेटते हुए वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
वट सावित्री व्रत का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी वट सावित्री का व्रत रखता है और इस दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करता है उसे यमराज की कृपा के साथ ही त्रिदेवों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। कहा जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास होता है। वट सावित्री का व्रत को करने से पति को लंबी आयु की प्राप्ति है और दांपत्य जीवन भी सुखमय रहता है। साथ ही योग्य संतान की भी प्राप्ति होती है।