Visheshwar Ojha murder: बिहार के चर्चित विशेश्वर ओझा हत्याकांड में आरा की एडीजे 8 की अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए आरोपी ब्रजेश मिश्रा और हरेश मिश्रा समेत सात आरोपियों को दोषी ठहराया. जबकि, साक्ष्य के अभाव में छह को दोष मुक्त कर दिया. इस मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई अगली तारीख को होगी।
- हाइलाइट :- Visheshwar Ojha murder
- यह मामला दिनांक 12 फरवरी 2016 की शाम की है
- सोनबरसा मैदान में घेरकर विशेश्वर ओझा पर हुई थी ताबड़तोड़ फायरिंग
आरा: बिहार के चर्चित विशेश्वर ओझा हत्याकांड में आरा की एडीजे 8 की अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए आरोपी ब्रजेश मिश्रा और हरेश मिश्रा समेत सात आरोपियों को दोषी ठहराया. जबकि, साक्ष्य के अभाव में छह को दोष मुक्त कर दिया. इस मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई अगली तारीख को होगी।
9 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार को कोर्ट में न्यायाधीश ने चार बजकर एक मिनट पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित ब्रजेश मिश्रा को सबसे पहले आदेश की जानकारी दी. इसके बाद हरेश मिश्रा समेत पांच अन्य आरोपियों को आदेश की जानकारी दी. इसके बाद छह आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया. ये आरोपी 302/307 आईपीसी और 27 आर्म्स एक्ट में दोषी साबित हुए. 302/307 आईपीसी और 27 आर्म्स एक्ट में हरेश मिश्रा और ब्रजेश मिश्रा दोषी पाए गए. 307 आईपीसी और 27 आर्म्स एक्ट में दोषी साबित हुए. उमाकांत, टुनी, बसंत, पप्पू और हरेन्द्र सिंह को 307 आईपीसी और 27 आर्म्स एक्ट में दोषी पाया गया.
इनके खिलाफ नहीं मिला कोई सबूत
इस कांड में आरोपी कुंदन, संतोष, विनोद, भृगु, मदन, बबलू को संदेह का लाभ मिला. न्यायालय ने इन सभी छह को दोष मुक्त घोषित कर दिया.
Visheshwar Ojha murder: क्या है मामला?
यह मामला दिनांक 12 फरवरी 2016 की शाम की है. इस दिन विशेश्वर ओझा अपनी सफारी गाड़ी से ड्राइवर राकेश कुमार ओझा और चार अन्य समर्थकों के साथ बभनौली निवासी चंदेश्वर उपाध्याय के भतीजे की बारात में सम्मिलित होने परसोंडा टोला स्थित मृत्युंजय मिश्रा के यहां आए थे. यहां से एक अन्य गाड़ी उनके काफिले में शामिल हो गई. लौटने के क्रम में सोनबरसा मैदान में घेरकर मिश्रा बंधुओं ने अपने सहयोगियों के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी, इस कांड में विशेश्वर ओझा और उनके ड्राइवर राकेश कुमार ओझा को गोली लगी थी. बाद में इलाज के दौरान विशेश्वर ओझा को डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया था.
इस घटना के बाद प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था, क्योंकि विशेश्वर ओझा बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. इस कांड में सूचक राजनाथ ओझा के बयान पर शाहपुर थाना कांड संख्या 48/2016 अंकित किया गया था जिसमें कुल सात नामजद और तीन-चार अन्य अज्ञात का नाम जिक्र किया गया था. पुलिस ने अपनी जांच के बाद कुल 13 अभियुक्त के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था.
तीन चिकित्सक की हुई गवाही
इस कांड के ट्रायल में शहर के तीन नामी चिकित्सकों की गवाही अभियोजन ने कराई. जिला अभियोजन पदाधिकारी सह अपर लोक अभियोजक माणिक कुमार सिंह के अनुसार डॉक्टर कृपा शंकर चौबे की अध्यक्षता में एक तीन सदस्य मेडिकल टीम का गठन पोस्टमार्टम कराने के लिए किया गया था. जिस टीम ने पोस्टमार्टम किया था उस टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर कृपा शंकर चौबे का इस कांड में साक्ष्य परीक्षण कराया गया.
इसके अलावा शहर के विख्यात चिकित्सक डॉ विकास सिंह जिनके यहां गोलियां निकाली गई थी उनकी भी गवाही इसमें करवायी गयी. जबकि विशेश्वर ओझा का प्रथम इलाज करने वाले डॉक्टर रमाशंकर चौबे जो शाहपुर रेफरल अस्पताल में पदस्थापित थे उनकी भी इस कांड में गवाही करवाई गई. डॉ रमाशंकर चौबे ने विशेश्वर ओझा के ड्राइवर रमाशंकर ओझा का इलाज भी किया था जिसकी गोलियां निकल गई थी और इस संबंध में भी चिकित्सकों ने अपने साक्ष्य परीक्षण में जिक्र किया है.
इन साक्ष्य के आधार पर हुए दोषी करार
विशेश्वर ओझा हत्याकांड में कुल 10 गवाह की गवाही अभियोजन की ओर से कराई गई जिसमें चार प्रत्यक्षदर्शी, तीन चिकित्सक, एक जांच अधिकारी, दो स्वतंत्र जब्ती सूची गवाह शामिल हैं.
शाहपुर थाना कांड संख्या 48/16 में दो सेशन ट्रायल
विशेश्वर ओझा हत्याकांड दिनांक 12 फरवरी 2016 को शाम पांच बजे की है. जिसमें दो सेशन ट्रायल न्यायालय में चला. सेशन ट्रायल संख्या 390/16 में कुल 12 अभियुक्त का विचारण चला जिसमें हरीश मिश्रा, उमाकांत मिश्रा, बसंत मिश्रा, टुनी मिश्रा, कुंदन यादव, हरेंद्र सिंह, पप्पू सिंह, विनोद ठाकुर, मदन ठाकुर, बबलू ठाकुर और भृगु नाथ मिश्रा शामिल थे. जबकि मुख्य साजिशकर्ता और अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा के संबंध में सेशन ट्रायल संख्या 402/18 अलग से चला.
मुख्य गवाह कमल किशोर मिश्रा की हत्या सेशन ट्रायल के दौरान
इस कांड में दो सेशन ट्रायल चला जिसमें मुख्य साजिश कर्ता और अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा के मामले में चले सेशन ट्रायल संख्या 402/18 में गवाही से पूर्व ही मुख्य गवाह और इस कांड के चश्मदीद कमल किशोर मिश्रा की हत्या दिनांक 28/9/2018 को कर दी गई थी. बाद में जिला अभियोजन पदाधिकारी माणिक कुमार सिंह द्वारा सेशन ट्रायल संख्या 390/2016 में कमल किशोर मिश्रा की गवाही और प्रति परीक्षण को उनकी हत्या के उपरांत प्रदर्श के रूप में अंकित कराया गया जिसे जिसे न्यायालय ने बहस के दौरान साक्ष्य परीक्षण के तौर पर स्वीकार कर लिया जिसके आधार पर आज यह फैसला सुनाया गया.
मुख्य गवाह हत्याकांड में मिश्रा बंधुओं को हुई है आजीवन कारावास
जिला अभियोजन पदाधिकारी सह अपर लोक अभियोजक माणिक कुमार सिंह ने बताया कि कि मुख्य गवाह कमल किशोर मिश्रा की हत्याकांड में मिश्रा बंधु (ब्रजेश मिश्रा और उनके एक अन्य भाई) उनके सहयोगी दोषी पाए गए थे. एडीजे -2 अखिलेश सिंह की अदालत द्वारा पिछले महीने ही सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है.