Friday, November 15, 2024
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Homeधर्मआस्था-मंदिरआरण्य देवी मंदिर में एक साथ विराजती मां सरस्वती और महालक्ष्मी

आरण्य देवी मंदिर में एक साथ विराजती मां सरस्वती और महालक्ष्मी

खबरे आपकी आरा। Aranya Devi आरण्य देवी मंदिर में स्थापित बड़ी प्रतिमा को जहां सरस्वती का रूप माना जाता है, वहीं छोटी प्रतिमा को महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस मंदिर में वर्ष 1953 में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, भरत, शत्रुधन् व हनुमान जी के अलावे अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गयी थी।

बताया जाता है कि उक्त स्थल पर प्राचीन काल में सिर्फ आदिशक्ति की प्रतिमा थी। इस मंदिर के चारों ओर वन था। पांडव वनवास के क्रम में आरा में ठहरे थे। पांडवों ने आदिशक्ति की पूजा-अर्चना की। मां ने युधिष्ठिर को स्वपन् में संकेत दिया कि वह आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित करे। धर्मराज युधिष्ठिर ने मां आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित की। कहा जाता है कि भगवान राम जी और लक्ष्मण जी, विश्वामित्र जी के साथ जब बक्सर से जनकपुर धनुष यज्ञ के लिए जा रहे थे तो आरण्य देवी की पूजा-अर्चना की। तदोपरांत सोनभद्र नदी को पार किये थे।

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Aranya Devi-शारदीय नवरात्र के महानवमी को लेकर हुआ हवन

धूप और हवन की खुशबू से सुगंधित हुआ फिजां

मंदिरों, पूजा पंडालों एवं घरों में विधि विधान के साथ हुआ हवन

शारदीय नवरात्र के महानवमी तिथि को देवी दुर्गा के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की गई। कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवी की इसी स्वरूप से कई सिद्धियां प्राप्त की। शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप में जो आदि देवी हैं। वह सिद्धिदात्री ही हैं। इस तरह की सफलता के लिए इन देवी की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि को लेकर मंदिरों, पूजा पंडालों एवं घरों में हवन किया गया। इस दौरान महिला एवं पुरुष भक्तो ने पीला वस्त्र धारण पूरे विधि विधान के साथ हवन किया। धूप और हवन की खुशबू से पूरा फिजां सुगंधित हो गया। जय माता दी के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। इसके साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। पूजा पंडालों में देवी दर्शन को लेकर लोग उमड़ पड़े। हवन के पश्चात घरों में पूजा पंडालों के पास कुंवारी कन्याओं का भोजन कराया गया। इस दौरान उन्हें उपहार एवं दक्षिणा प्रदान किया गया।

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