Fake insurance certificate कोर्ट के आदेश पर नगर थाना में बस ऑनर के खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी
कोर्ट के आदेश के तीन साल बाद तक भी केस नहीं,एसपी की सख्ती के बाद हुआ केस
खबरे आपकी आरा कोर्ट में गलत बीमा प्रमाण पत्र (Fake insurance certificate) जमा कर बस को मुक्त कराना एक ऑनर को काफी महंगा पड़ा। कोर्ट के आदेश पर बस मालिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है। सिविल कोर्ट के वकील विजय शंकर पांडेय के बयान पर आरा नगर थाना में केस किया गया है, उसमें शाहपुर थाना क्षेत्र के करनामेपुर गांव निवासी सुशील कुमार दूबे को आरोपित किया गया है। मामला बस पलटने से एक छात्र की मौत से जुड़ा है।
बस पलटने से शाहपुर में छात्र की मौत से जुड़ा है मामला
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प्राथमिकी के अनुसार 2011 में शाहपुर कुंडवा महादेव के पास चालक की लापरवाही के कारण एक यात्री बस पलट गयी थी। उसमें सवार बिलौंटी गांव निवासी छात्र निशांत कुमार की मौत हो गयी थी। तीन अन्य यात्री जख्मी भी हो गये थे। उसे लेकर कोर्ट में एमवी केस चल रहा था। उस मामले में ऑनर द्वारा कोर्ट में जाली बीमा प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर बस को मुक्त करा लिया गया। बाद में कोर्ट ने विचारण के दौरान बस ऑनर द्वारा प्रस्तुत बीमा प्रमाण पत्र जाली पाया गया। तब अपर प्रथम सत्र न्यायाधीश सह मोटरयान न्यायाधीकरण द्वारा ऑनर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया। पुलिस अब मामले की छानबीन और ऑनर की धरपकड़ में जुटी है।
आदेश के बाद भी टालमटोल करती रही पुलिस,आरटीआई व एसपी की पहल हुआ केस
आरा। सिविल कोर्ट के वकील विजय शंकर पांडेय ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने में टालमटोल कर रही थी। कोर्ट के आदेश के तीन साल बाद तक भी केस नहीं किया गया। फिर आरटीआई की मदद ली गयी और एसपी से मिल भी केस दर्ज करने की मांग की गयी। एसपी की पहल पर 12 जनवरी को नया आवेदन लेकर केस किया गया।
वकील ने बताया कि 26 सितंबर 2011 को शाहपुर कुंडवा शिव मंदिर के समीप बस पलटने से छात्र की मौत हो गयी थी। अन्य यात्री जख्मी भी हुये थे। उसे लेकर चौकीदार के बयान पर बस चालक के खिलाफ केस किया गया था। उस मामले में एमवी केस 58/2011 के तहत कोर्ट में भी केस चल रहा था। ऑनर द्वारा जाली बीमा प्रमाण पत्र (Fake insurance certificate) देकर बस मुक्त करा ली गयी।
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जांच में कोर्ट ने प्रमाण पत्र जाली पाया। तब कोर्ट द्वारा ऑनर के खिलाफ केस करने का आदेश दिया गया था। उसके आलोक में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा 23 नवंबर 2019 को संबंधित थाने को आदेश दिया गया। लेकिन प्राथमिकी नहीं की गयी। उसे देखते हुये उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी की मांग की गयी। एसपी से भी मिले। उसके बाद एसपी ने सख्ती दिखायी और केस हो सका।