राजद नेता हीरा ओझा ने कहा कि अग्निपथ पर “तेजस्वी जी” के पीछे पीछे राजद एवं बिहार चल पड़ा है देश व राज्य की सरकार ने देर से ही सही तेजस्वी जी के कहि बातों पर अब अमल करना शुरू कर दिया है राजद नेता हीरा ओझा ने कहा कि परिभ्रमण के क्रम में गंगापुर, जवईनिया, चक्की नौरंगा, दामोदरपुर के किसानों, बेरोजगार युवकों एवं कोरोना काल में बाहर से आए श्रमिकों के मनोभावों को जानने और समझने के क्रम में जज्ञात हुआ कि किसान की सटीक परिभाषा क्या होती है। “विशेषकर बिहार तथा गंगा के किनारे का किसान- सरल एवं सीधा होता है, सहन शक्ति आपार है, भविष्य के बारे में सकारात्मक सोच रखता है, कभी निराश नही होता, बिस्वास सब पर करता है, जल जंगल तथा जमीन का सजग पहरुआ है- परिणाम स्वरूप बार बार छला जाता है।”
हीरा ओझा ने कहा कि “दिलीप राय” हो चाहे “रामाशीष पासवान” या “सत्येंद्र यादव” हो अथवा “मार्कण्डेय चौबे” सभी इस बिंदु पर आकर सहमत हो जाते है की हमारे देश की निवासियों की जीवनशैली और यहाँ की अर्थव्यवस्था में पारंपरिक एवं अधुनिक तत्वों का अनोखा मिश्रण है, इसीलिए बार बार लुटे एवं रौंदे जाने के बावजूद सोने की चिड़िया नामक देश बुनियादी रूप से आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को पुनर्स्थापित कर लेता है।
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हीरा ओझा ने कहा कि अनुभूत सत्य के आधार पर मेरा कथन यह है कि- कर्ज में डूबे हुए पैदा होना, हाड़ तोड़ परिश्रम के बावजूद सारा जीवन भूख एव कर्ज से छुटकारा पाने के लिए छटपटाना और अंत मे अपने संतति पर कर्ज का भारी बोझ छोड़कर इस असार संसार से प्रस्थान कर जाना ही नियति बन गयी है किसान की। झांसा देकर इस स्थिति का निदान नही हो सकता है। एक बार इन्हें कर्जमुक्त कर देने का साहस तो हमे करना ही पड़ेगा। प्रकृति प्रदत्त एव मानवीय निर्मित अपदावों, झंझावातों से हम लड़ रहे है। देश की सरहद की रक्षा करने में पूर्णरूपेण हम सक्षम नहीं हो पाए है। वहाँ पर सड़कों, बंकरों एव अनगिनत पुलों का निर्माण आपेक्षित है।
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हीरा ओझा ने कहा कि कोरोना के कहर ने लगभग 50 हजार हमारे प्रिय लोगों को हमशे अकारण असमय छीन लिया। कारण साफ है कि अस्पतालों, दवाओं, डॉक्टरों, पनाहगाहों का अत्यंत अभाव है। जाहिर है अभी भादव मास चल रहा है। लोग बाग बाढ़ की विभीषिका से भी डरे हुए है। सरकार को अपने कर्मों से आश्वस्त करना चाहिए की आवश्यक संसाधन जैसे की नावों, तिरपालों, दवा एव भोजन आदि की आपूर्ति आवश्यकता के अनुरूप की जाएगी। हमे वह हर संभव प्रयास करना होगा ताकि किसानों, मजदूरों, गरीबों का मनोबल ऊँचा रहे।
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हीरा ओझा ने कहा कि बिडम्बना यह है कि सत्ताधारी राजनीतिक दलों के व्यवहार से परिलक्षित होता है कि वे पार्टी हित को राष्ट्रहित से बड़ा मानते है जो अनअपेक्षित है। इसीलिए अग्निपथ पर “तेजस्वी जी” के पीछे पीछे राजद एवं बिहार चल पड़ा है।