खबरे आपकी आरा। Stories of Naming the city of Ara आरा एक अति प्राचीन शहर है। आरा शहर के नामकरण की प्रचलित कथा कहानियों के अनुसार इसके ऐतिहासिक होने के प्रमाण भी मिलते रहते है, महाभारतकालीन अवशेष यहां बिखरे पड़े हैं। पुराणों में लिखित मोरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है द्वापर युग में राजा मोरध्वज के समय चारों ओर वन था। घने जंगल से घिरा होने के कारण ये ‘आरण्य क्षेत्र’ के नाम से भी जाना जाता था। महाभारत काल में पांडवों ने भी अपना गुप्त वासकाल यहां बिताया था, बताया जाता है कि घने जंगल के बिच आरण्य देवी (आरा) उक्त स्थल पर प्राचीन काल में सिर्फ आदिशक्ति की प्रतिमा थी।
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Stories of Naming the city of Ara-पांडवों ने की थी आदिशक्ति की पूजा-अर्चना
आरा। कहा जाता है की मां ने युधिष्ठिर को स्वपन में संकेत दिया कि वह आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित करें। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने मां आरण्य देवी की प्रतिमा स्थापित की थी। इसके बाद ‘आरण्य क्षेत्र’ आरण्य देवी के क्षेत्र से बहुत प्रसिद्ध होता गया।
जेनरल कनिंघम के अनुसार युवानच्वांग द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें अशोक ने दानवों के बौद्ध होने के संस्मरणस्वरूप एक बौद्ध स्तूप खड़ा किया था, इसी स्थान से है। दूसरी कहानी आरा के पश्चिम स्थित मसाढ़ ग्राम में प्राप्त जैन अभिलेखों में उल्लिखित ‘आराम नगर’ नाम भी इसी नगर के लिए आया है।
तीसरी कहानी के अनुसार इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि गया है गंगा के दक्षिण ऊंचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात् आड या अरार में होने के कारण, इसका नाम ‘आरा’ पड़ा।
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