खबरे आपकी बिहार/आरा: Naxalwadi Day 25 मई 1967 को दुनिया ने पहली बार नक्सलवाड़ी वज्रनाद को सुना था। न्याय मांगने के कारण ग्रामीण दार्जिलिंग में 11 किसान जिसमे 8 महिला, 1 पुरुष व 2 बच्चा थे को राज सत्ता के द्वारा गोलियों से भून डाला। इस घटना के बाद ही नक्सलवाड़ी के क्रांतिकारी जागरण की चिंगारी फुट पड़ी। भारतीय राज सत्ता को चकित करते हुए नक्सलवाड़ी की यह चिंगारी समूचे मुल्क के सर्वाधिक वंचित और हासिये के तबकों के बीच दमन और अन्याय के खिलाफ आग की लहर बनकर भरक उठी।
Naxalwadi Day-आरा में नक्सलबाड़ी आंदोलन के शहीदों को दी गयी श्रद्धांजलि
आज उन्ही किसानों की याद में भाकपा(माले) पूरे देश मे नक्सलवाड़ी दिवस मना रही है। इसी कड़ी में आरा। भाकपा (माले) ब्रांच कमेटी वार्ड नंबर-21 गोला मोहल्ला आरा के तत्वावधान में नक्सलबाड़ी दिवस के 54 वर्ष पूरे होने पर सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का ख्याल रख कर अपने घर के आगे मनाया गया। सबसे पहले नक्सलबाड़ी आंदोलन में तमाम शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।
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25 मई 1967 को दुनिया ने पहली बार नक्सलवाड़ी वज्रनाद को सुना था-बंटी
माले नेता व अधिवक्ता अमित कुमार गुप्ता उर्फ बंटी ने कहा नक्सलबाड़ी दिवस के 54 वर्ष पूर्ण हो गए हम तमाम नक्सलबाड़ी आंदोलन के शहीदों को नमन करते हैं और इस कोरोना महामारी में हमारी पार्टी भाकपा (माले) मरीजों का इलाज कराने और उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहने और स्वास्थ सुविधा बहाल कराने के लिए संघर्षरत रहेगी और उनके सहायता के लिए जो भी संभव होगा। हम उस सहायता को करने का काम करेंगे। तमाम छात्र, नौजवान, किसान, मजदूर, प्रगतिशील बुद्धिजीवी वर्ग, प्रवासी मजदूर के रोजगार के सवाल पर खेती किसानी के सवाल पर मजबूती से उठाने का काम करेगी। सरकार की नाकामी को जनता के सामने लाने का काम करेगी। इस अवसर पर मृत किसानों को श्रधांजलि दी गई। कार्यक्रम में भाकपा(माले) के पप्पू गुप्ता एवं विकास गुप्ता शामिल थे।
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